SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८-२-६० पूर्व निश्चय के अनुसार आज नौ बजे आचार्यश्री प्रवचन पडाल मे पधारे । आज का विषय था-मत्री मुनि की जीवन-झाकी । सभी साधुसाध्वी एक अजीव उत्कण्ठा लिए बैठे थे । सबसे पहले मुनि श्रीसोहनलालजी ने मत्री-मुनि को श्रद्धाजली समर्पित करते हुए उनकी जीवन-गाथा को कुछ सोरठो और सरस गीतिकाओ मे प्रस्तुत किया । मुनिश्री मत्री मुनि के नाम मात्र से गद्गद् हो रहे थे। आचार्यश्री ने मत्री मुनि की स्मृति को सजीव करते हुए कहा-मैंने जब मत्री के स्वर्गवास का सवाद सुना तो मेरा दिल इतना भारी हो गया जितना इन ३४ वर्षों मे कभी नहीं हुआ था। उन्होने गत वर्षों मे मरणान्त वेदनाए सही थी पर घोर तपस्वी स्व० मुनिश्री सुखलालजी तथा मुनिश्री सोहनलालजी (चूरू) ने उनकी जो परिचर्या की है वह सचमुच तेरापथ संघ के लिए अपनी गौरव-परम्परा को सुरक्षित रखने की एक बात थी। उनके परिचर्या मे रहने से मुझे कभी क्षण भर के लिए भी यह चिंता नहीं हुई कि मत्री मुनि की परिचर्या ठीक ढग से हो रही है या नहीं? इन दोनो ने उन्हे जो शारीरिक तथा मानसिक समाधि दी है, उसे मैं कभी नही भूल सकता। मुनिश्री सोहनलालजी ने अपने सौभाग्य की श्लाघा करते हुए कहा-गुरुदेव । सचमुच मैं कितना सौभागी हू। प्राचार्यवर ने अपने शतश साधुओ मे से मुझे ही उनकी सेवा का शुभ अवसर प्रदान किया । आपकी यह कृपा ही उसका निमित्त था। उसके आधार पर ही मैंने यतकिंचित सेवा की है । यहा एक बात कहनी अनुचित न होगी कि
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy