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________________ २६-१-६० आज प्रात काल राष्ट्रपति भवन में आचार्यश्री ने राष्ट्रपतिजी से बातचीत करते हुए उन्हे चालू यात्रा के बारे मे बताते हुए कहा-हमने अपनी यात्राओ मे सबसे मुख्य बात यह पाई कि ग्रामीणो मे आज भी नीति और धर्म के प्रति आस्था है । साधुओं के प्रति सच्ची श्रद्धा है । वे एक हद तक साधुप्रो के उपदेशो को स्वीकार भी करते है । पर उन लोगों तक साधु बहुत ही कम पहुचते हैं। द्विशताब्दी समारोह का परिचय देते हुए आचार्यश्री ने राष्ट्रपतिजी) को सघ मे चलने वाले आगम कार्य से भी अवगत कराया। इस महत्वपूर्ण शोध-कार्य की जानकारी पाकर राष्ट्रपतिजी ने हार्दिक शुभकामना प्रकट करते हुए कहा-भारत मे सदा से ऋषि महर्षियो का स्वागत होता आया है । उनके माध्यम से ही देश ने साहित्यिक तथा चारित्रिक क्षेत्र मे महत्वपूर्ण प्रगति की है । राष्ट्रोत्थान के कार्य मे भी साधुओ का बडा भारी हाथ रहा है । उनसे त्याग और सयम का मार्ग दर्शन पाकर राष्ट्र ने बहुत कुछ विकास किया है । सचमुच आप उसी परम्परा को उज्जीवित कर रहे हैं। आचार्यश्री ने राष्ट्रपति जी को घोर तपस्वी मुनिश्री सुखलालजी के सथारे के बारे मे बताया तो उन्होने इस विषय मे अनेक जिज्ञासाए की तथा ऐसे तपस्वी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धाजलि, समर्पित की। उन्हे कुछ नया साहित्य भी भेंट किया गया तथा इस विषय मे उनकी सम्मतिया पाने की भी इच्छा व्यक्त की गई। तत्पश्चात् प्रधानमत्री श्री जवाहरलाल नेहरू से उनकी कोठी पर श्राचार्यश्री का वार्तालाप हुआ। नेहरूजी ने आचार्यश्री का स्वागत करते
SR No.010636
Book TitleJan Jan ke Bich Acharya Shri Tulsi Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta
PublisherMeghraj Sanchiyalal Nahta
Publication Year
Total Pages233
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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