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________________ सारनाथ के कनिष्ककालीन अभिलेख मारनाथ संग्रहालय में लंबे आकार की बोधिसत्व की एक मति सरक्षित है । उम पर तीन अभिलेख अंकित हैं, जो कुषाण-राजा कनिष्क के शासन - काल के तीसरे वर्ष अंकित किये गये थे। इन लेखों का विषय बुद्ध का 'धम्मचक्कपवत्तन' है । पंचवर्गीय भिक्षुओं के प्रति भगवान् ने वाराणसी में चतुरार्य सत्य-विषयक जो उपदेश दिया वह यहाँ इन शब्दों में अंकित है “चत्तारि मानि भिक्खवे अरियसच्चानि । कतमानि चत्तारि ? दुक्खं दि भिक्खवे अरिय सच्चं । दुक्खसमुदयो अरियसच्च दुक्ख निरोधो अरियसच्चं दुक्खनिरोधो गामिनीच पटिपदा।" इसका हिन्दी अनुवाद है--"भिक्षुओ ! ये चार आर्य सत्य हैं ? कौन मे चार ? भिक्षुओ ! दुःख आर्य सत्य है, दुःख-समुदय आर्य-सत्य है, दुःख निरोध आर्यमत्य है, दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा (मार्ग) आर्य सत्य है।" 'धम्मचक्क पवननसुत्त' का यह अक्षरशः उद्धरण ही है । कनिष्क ने इसे अंकित करवाकर उसी स्थान पर रक्खा जहाँ पर कि वह ऐतिहासिक रूप से प्रथम वार दिया गया था, इससे स्पष्ट विदित होता है कि ईसवी सन् के लगभग (कनिष्क का समय) पालि-माध्यम में निहित बुद्ध-वचन ऐतिहासिक रूप से प्रामाणिक माने जाते थे। अशोक तथा साँची और भारहुत के अभिलेखों के कालक्रम से प्राप्त साध्य का इस प्रकार यह अभिलेख भी अनुमोदन करता है। मौंगन (बरमा) के दो स्वर्णपत्र-लेख म्वर्णपत्रों पर लिखे हुए दो पालि-अभिलेख बग्मा में प्रोम के समीप मौंगन नामक स्थान पर मिले हैं । संभवतः ये पाँचवीं-छठी शताब्दी ईसवी के हैं और दक्षिण भारत की कदम्ब (कन्नण-तेलगू) लिपि में लिखे हुए हैं। प्रथम अभिलेख यह है “ये धम्मा हेतुप्पभ वा तेमं हेतु तथागतो आह तेसं च निरोधो एवंवादी महासमणो नि, चत्वारो सम्मप्पधाना, चत्वारो सतिपट्ठाना, चत्वारि अरियमच्चानि, चनु बेसारज्जानि पञ्चिन्द्रियाणि, पञ्च चक्खूनि. छ अमद्धारणानि, सत्त वोभंग, अरियो अटें-गिको मग्गो, नव लोकुनग धम्मा, दम बलानि, चुद्दम बुद्धजाणानि, अट्ठारस बुद्धधम्मा
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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