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________________ ( ६२९ ) बुद्ध की सामुक्कंसिका धम्मदेसना' (ऊँचा उठानेवाला धर्मोपदेश ) जिसका उपदेश वाराणसी में दिया गया ( अर्थात् धम्मचक्कपवत्तन-सुत्त) - ए० जे० एडमंड्स' ३. सप्पुरिस-सुत्त ( मज्झिम ३।२।३) या अंगुत्तर निकाय का विनयसंबंधी उपदेश (अत्थवसवग्ग ) - प्रो० मित्र ४. 'गिहि-विनय' (गृह - विनय ) नाम से प्रसिद्ध सिंगालोवाद- सुत्त ( दीघ ३८) तथा ' भिक्खु - विनय' ( भिक्षु - विनय ) के नाम से प्रसिद्ध अनुमान -सुत्त ( मज्झिम) - | डा० वेणीमाधव वाडुआ । ५. तुवट्ठक - सुत्त (सुत्तनिपात ) - प्रो० भंडारकर २. अलियवसानि (आर्यवंश ) १. अंगुत्तरनिकाय के चतुक्क निपात में निर्दिष्ट चार आर्य वंश - आचार्य धर्मानन्द कोसम्बी * २. अंगुत्तर निकाय के दसक - निपात अथवा परियाय सुत्त और दसुत्तर- सुत्त में निर्दिष्ट दस डेविड्स" दीघनिकाय के संगीति आर्य - वास-- डा० रायस ३. अनागत- भयानि १. अंगुत्तर निकाय के पंचक निपात में निर्दिष्ट पांच अनागत-भय- डा० रायस डेविड्स १. जर्नल ऑव रायल एशियाटिक सोसायटी, १९१३, पृष्ठ ३८५ २. लाहा : हिस्ट्री ऑव पालि लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६६५ में उद्धृत । ३. जर्नल ऑव रायल एशियाटिक सोसायटी, १९१५, पृष्ठ ८०५ ४. इंडियन ऐंटिक्वेरी ४१, ४० ५. ऊपर उद्धृत पद-संकेत १ के समान । ६. जर्नल ऑव रॉयल एशियाटिक सोसायटी १९९८ ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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