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________________ ४४ ) संयुक्त स्वर ( ए, ऐ, ओ, औ ) और उनके पालि प्रतिरूप ए और ओ पालि में ह्रस्व और दीर्घ दोनों ही हैं । ह्रस्व ए और ओ का विवेचन हम पहले कर चुके हैं । दीर्घ ए और ओ भी पालि में पाये जाते हैं । (१) पालि में ए और ओ का आगमन संस्कृत संयुक्त स्वरों ऐ और औ से हुआ है। ऐरावण मैत्री वै औरस पौर एरावण मत्ता वे ओरस पोर (२) कभी कभी ए, ओ, संस्कृत में संयुक्त व्यंजनों से पहले आने पर, पालि में लघु होकर क्रमश: इ और उ रह जाते हैं । उदाहरण प्रतिवेश्यक प्रसेवक ऐश्वर्य सैन्धव श्रोष्यामि औत्सुक्य क्षौद्र रौद्र पटिविस्सक प सिब्बक इस्सरिय सिन्धव सुस्सं उस्सुक खुद्द लुद्द विसर्ग पालि में आते-आते विसर्ग का लोप हो गया है। प्राकृतों में भी वह नहीं मिलता। इसका परिवर्तन प्रायः तीन प्रकार से हुआ है । (१) शब्द के मध्यस्थित विसर्ग का समावेश उसके आगे आने वाले व्यंजन में हो गया, जैसे १. सं० अय से पालि ए; अव से ओ; आव से ओ; अयि, आयि, आवि से ओ; इन परिवर्तनों के लिये देखिये आगे अक्षर-संकोच का विवरण ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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