SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 589
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ५६८ ) ग्रन्थ में हुआ है । अभिधम्म-पिटक के ग्रन्थों का भी उल्लेख हुआ है । तीन बौद्ध संगीतियों के वर्णन में कोई नई बात यहाँ नहीं कही गई है। चुल्ल वग्ग (विनयपिटक), वृद्धघोष की अट्ठ कथाओं और दीपवंस, महावंस के आधार पर संकलित सामग्री का उपयोग कर के ही इन वर्णनों को ग्रथित कर लिया गया है। तृतीय संगीति के बाद धर्म-प्रचार कार्य का विस्तृत विवरण इस ग्रन्थ में भी दिया गया है और दीपवंस, महावंस तथा समन्तपासादिका के समान उन भिक्षओं के नामों का उल्लेख भी किया गया है जिन्हें धर्म-प्रचार के लिए देश-विदेश में भेजा गया था। इस प्रकार 'सद्धम्मसंगह' क वर्णनानुसार थेर मज्झन्तिक काश्मीर और गन्धार को भेजे गए, महादेव थेर महिष मंडल को भेजे गये, रक्खित थेर वनवासी-प्रदेश को, योनक (ग्रीक) धम्मरक्खित थेर अपरान्तक को, महाधम्मरक्खित थेर महाग्छ (महाराष्ट्र) को, महारक्खित थेर योनक (यवनक-ग्रीस) प्रदेश को, मज्झिम थेर हिमालय-प्रदेश को, सोणक और उत्तर सुवण्णभूमि (सुवर्णभूमि-पेगू -बरी) को, और महेन्द्र (महिन्द) तथा इत्थिय, उत्तिय, सम्बल और भद्दसाल भिक्षु लंका को भेजे गये। यह वर्णन महावंस के समान ही है । 'सद्धम्मसंगह' में कुल ८० अध्याय हैं। नवें अध्याय में अनेक ग्रन्थों और उनके रचयिताओं का वर्णन है। ‘सद्धम्मसंगह' धम्मकित्ति महासामी (धर्मकीर्ति महास्वामी) नामक भिक्ष की रचना है, जिनका काल चौदहवीं शताब्दी का उत्तर भाग है। बालावतारव्याकरण को गन्धवंस में वाचिस्सर की रचना बताया गया है, किन्तु एक अन्य परम्परा के अनुसार उसके भी रचयिता सद्धम्ममंगह के रचयिता धम्मकित्ति महामामी नामक स्थदिर ही है। महाबोधिवंस' 'महाबोधि वंस' या 'बोधिवंस' अनुराधपुर में आरोपित बोधिवृक्ष की कथा है। यह ग्रन्थ गद्य में है। लेखक ने बोधि-वृक्ष के इतिहास के रूप में बुद्ध-धर्म के १. रोमन लिपि में एस० ए० स्ट्राँग द्वारा सम्पादित, पालि टैक्स्ट सोसायटी द्वारा प्रकाशित,लन्दन १८९१; इस ग्रन्थ का सिंहली संस्करण, इसके लेखक के नाम के भिक्षु (उपतिस्स) द्वारा सम्पादित किया गया है किया गया है कोलम्बो १८९१।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy