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________________ ( ५५७ ) पर चढ़कर मात दिन में वे बन्दरगाह पहुँचे । वहाँ से फिर एक सप्ताह में पाटलिपुत्र पहुँचे। वहाँ जाकर राजा को भेंट समर्पित की, जिसे देख कर वह प्रसन्न हुआ।"१ अशोक राजा ने अन्य प्रभत भेंट-सामग्री के साथ सद्धर्म की यह भेंट भी भेजी, “मैंने बुद्ध धर्म और संत्र की शरण ग्रहण की है और शाक्य-पुत्र के शासन में उपासक हुआ हूँ। हे नरोत्तम ! आप भी आनन्दपूर्वकश्रद्धा केसाथ इन उत्तम रत्नों की शरण ग्रहण करें।"२ तृतीय धर्म-संगीति के बाद देश-विदेश में बुद्ध-धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने जो कार्य किया उसका वर्णन 'महावंस' के एक अलग परिच्छेद में ही किया गया है। बारहवें परिच्छेद का शीर्षक है 'नाना देश-प्रचार।' इस नाना देश-प्रचार की योजना के अन्तर्गत ही आगे चल कर तेरहवें परिच्छेद में महेन्द्र के लंका-आगमन का वर्णन है । 'नाना-देश-प्रचार' के वर्णन में हम पढ़ते है, “संगीति समाप्त कर के बुद्ध-धर्म के प्रकाशक स्थविर मौद्गलिपुत्र तिस्य (मोग्गलिपुत्त तिस्स) ने भविष्य को देखते हुए, प्रत्यन्त-देशों (पड़ौसी देशों) में (धर्म) शासन की स्थापना का विचार कर, कार्तिक मास में स्थविर मज्झन्तिक को काश्मीर और गन्धार को भेजा और महादेव स्थविर को महिषमंडल भेजा। रक्षित नामक स्थविर को वनवास (मैसूर का उत्तरी भाग) की ओर भेजा और यवन (ग्रीक) धर्मरक्षित को अपरान्त (बम्बई से सूरत तक का प्रदेश) देश में भेजा। महाधर्मरक्षित स्थविर को महाराष्ट्र में तथा महारक्षित स्थविर को यवन देशों में भेजा। हिमालय-प्रदेश में मज्झिम स्थविर को भेजा और स्वर्णभूमि (बरमा) में सोण और उत्तर नामक दो स्थविरों को भेजा। अपने शिष्य महा महेन्द्र स्थविर तथा इट्ठिय, उत्तिय, सम्बल और भद्दसाल-----इन पाँच स्थविरों को यह कर लंका भेजा-तुम मनोज्ञ लंका-द्वीप में, मनोज्ञ बुद्ध-धर्म की स्थापना करो।"3 इन सब भिक्षओं के अलग अलग कार्य का वर्णन करने के बाद महेन्द्र के १. महावंस ११०२३-२४ (भदन्त आनन्द कौसल्यायन का अनुवाद) २. महावंस ११३४-३५, मूल इस प्रकार है--अहं बुद्धं च धम्मंच संघं च सरणं गतो उपासकत्तं वेसि साक्यपुत्तस्स सासने त्वपि मानि रतनानि उत्तमानि नरुत्तम, चित्तं पसादयित्वान सद्धाय सरणं भज ३. महावंसं १२॥१-८
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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