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________________ ( ५५० ) . किन्तु साहित्यिक दृष्टि से दोष-मय होते हुए भी ऐतिहासिक दृष्टि से 'दीपवंस' एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । फ्रैंक जैसे कुछ-एक विद्वानों ने उसकी साहित्यिक अपूर्णताओं के कारण या उनसे अधिक प्रभावित होकर ही उसे एक प्रामाणिक ऐतिहासिक ग्रन्थ के गौरव से भी वंचित रखना चाहा है।' निश्चय ही यह सन्तुलन को खो देना है। 'दीपवंस' के ऐतिहासिक रूप से प्रामाणिक ग्रन्थों होने में सन्देह की गुंजायश नहीं, यह डा० गायगर की इस सम्बन्धी खोजों ने अन्तिम रूप से निश्चित कर दिया है । २ 'दीपवंस' में एक प्राचीन ऐतिहासिक परम्परा मिलती है, जिसको सिंहल में सदा आदर और विश्वास की दृष्टि से देखा गया है । यह इमी से जाना जा सकता है कि पाँचवीं शताब्दी ईसवी में सिंहल के गजा धातुमेन ने इस ग्रन्थं का पाठ राष्ट्रीय गौरव के साथ एक वार्षिक उत्सव के अवसर पर करवाया था। सिंहली इतिहासों में निश्चय ही इस ग्रन्थ को पहला और अत्यन्त ऊँदा स्थान प्राप्त है । ग्रन्थ की विषय-वस्तु, जैसा पहले कहा जा चुका है, लंका के प्रारम्भिक इतिहास से लेकर वहाँ के राजा महासेन के शासन-काल (३२५-३५२ ई०) तक है । सर्वप्रथम वुद्ध के तीन बार लंका-गमन का वर्णन किया गया है । यहाँ बुद्ध की प्राचीन वंशावली का भी वर्णन किया गया है, और उनके वंश के आदि पुरुष का नाम महासम्मत बतलाया गया है। फिर प्रथम दो बौद्ध संगीतियों का का वर्णन है । यहाँ विनय-पिटक-चुल्लवग्ग आदि के वर्णनों से कोई विशेष विभिन्नता नहीं है । वही मगधराज अजातशत्रु के तत्त्वावधान में, महाकाश्यप के सभापतित्व में, प्रथम संगीति का होना, एवं आनन्द और उपालि के द्वारा क्रमश: धम्म और विनय का संगायन किया जाना , यहाँ भी प्रथम संगीति के विवरण में दिया गया है। इसी प्रकार द्वितीय संगीति के प्रसंग में वज्जिपुत्तक १. यथा स्मिथ : इंडियन एंटिक्वेरी, ३२, १९०३, पृष्ठ ३६५, फ्रैंक : जर्नल ऑव पालि टैक्स्ट सोसायटी, १९०८, पृष्ठ १ २. देखिये विशेषतः उनका महावंस (अंग्रेजी अनुवाद) पृष्ठ १२-२०; गायगर से पहले मैक्समुलर तथा डा० रायस डेविड्स ने भी सिंहली इतिहास ग्रन्थों की प्रमाणवत्ता को प्रतिपादित किया था। देखिये क्रमशः सेक्रेड बुक्स ऑव दि ईस्ट, जिल्द १० (१), पृष्ठ १३-२५ (भूमिका); बुद्धिस्ट इंडिया, पृष्ठ २७४
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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