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________________ ( ५३२ ) में इनके नाम मुख्य हैं - ( १ ) आनन्द ( २ ) चुल्ल धम्मपाल (३) उपमेन ( ४ ) महानाम (५) काश्यप (कस्सप ) ( ६ ) वज्रबुद्धि ( वजिर बुद्धि ( ७ ) क्षेम ( खेम ) (८) अनिरुद्ध (अनुरुद्ध ) ( ९) धर्म श्री (धम्मसिरि) और (१०) महास्वामी ( महासामि) । आनन्द भारतीय भिक्षु थे और सम्भवतः यह बुद्धघोष के ममकालीन थे । इन्होंने बुद्धघोष की अभिधम्म सम्बन्धी अट्ठकथाओं की सहायक स्वरूप 'मूल- टीका' या 'अभिधम्म-मूल टीका' लिखी है । यही इनकी एक मात्र प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण रचना है । चुल्ल धम्मपाल इन्हीं आनन्द के शिष्य थे और इन्होंने ‘सच्च संखेप' (सत्य संक्षेप) लिखा है । उपसेन 'सद्धम्मप्पजोतिका' या 'सद्धम्म टीका' नामक निद्देस की टीका के लेखक है । महानाम ने पटिसम्भिदामग्ग की अट्ठकथा 'सद्धम्मप्पकासिनी' शीर्षक से लिखी । काश्यप ने मोहविच्छेदनी और विमतिच्छेदनी नामक विवेचनात्मक ग्रन्थों की रचना की । वज्र बुद्धि ने 'वज्रबुद्धि' नाम की ही टीका 'समन्तपासादिका' पर लिखी । क्षेम ने 'खेमप्पकरण' नामक ग्रन्थ की रचना की । अनिरुद्ध अभिधम्म - साहित्य सम्बन्धी प्रसिद्ध ग्रन्थ 'अभिधम्मत्थसंग्रह' के रचयिता हैं । अनिरुद्ध ने ही अभिधम्म सम्बन्धी दो ग्रन्थ और लिखे हैं (१) परमत्थ - विनिच्छय और ( २ ) नामरूप - परिच्छेद । अनिरुद्ध के ग्रन्थों पर बाद में एक बड़ा सहायक साहित्य लिखा गया, जिसका विवरण हम आगे टीकाओं के युग में देखेंगे । धर्मश्री ने विनय-सम्बन्धी अट्ठकथा - माहित्य को 'खुद्दक सिक्खा' (क्षुद्रक शिक्षा) नामक ग्रन्थ दिया और महास्वामी ने इसी विषय सम्बन्धी 'मूल सिक्खा' (मूल शिक्षा) बुद्धदत्त, बुद्ध घोष और धम्मपाल के बाद जिस अट्ठकथा-साहित्य का ऊपर उल्लेख किया गया है उसमें अनिरुद्ध-कृत 'अभिधम्मत्थसंग्रह' का एक अपना स्थान हैं । पालि-साहित्य के इतिहास की किसी भी योजना में वह एक स्वतन्त्र परिच्छेद का अधिकारी है। उतना अवकाश तो इस कृति को यद्यपि हम यहाँ नहीं दे सकते, फिर भी अन्य की अपेक्षा इसका कुछ अधिक विस्तृत विवरण यहाँ अपेक्षित है । वह भी न केवल इसकी स्वतन्त्र सत्ता की दृष्टि से ही बल्कि इसलिये भी कि इसकी विषय-वस्तु का उल्लेख या विवेचन करते समय न केवल सम्पूर्ण अभिधम्मपिटक की ही विजय-वस्तु वल्कि उसकी अट्ठकथाओं का भी बहुत कुछ सारांश यहाँ स्वतः आ जाता है ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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