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________________ ( ५२९ ) पर लिखी । अन्य पाँच अभिधम्म-ग्रन्थों पर भी उन्होंने अट्ठकथाएँ लिखीं, जिनके नाम हैं क्रमशः धातुकथापकरणट्ठकथा, पुग्गल -पञ्ञत्तिपकरणट्ठकथा, कथावत्थु-पकरण-अट्ठकथा,' यमकपकरणट्ठकथा और पट्ठान पकरणट्ठकथा | यह पाँचों अट्ठकथाएँ मिलकर पञ्च-प्पकरणट्ठ कथा, भी कहलाती है । अन्य रचनाएँ जैसा बुद्धघोष की जीवनी के प्रसंग में कहा जा चुका है, लंका-गमन से पूर्व आचार्य बुद्धघोष ने 'जाणोदय' (ज्ञानोदय) नामक ग्रन्थ और सम्पूर्ण त्रिपिटक पर एक संक्षिप्त अट्ठकथा लिखी थी । ये रचनाएँ आज नहीं मिलतीं । 'सासनवंस' के अनुसार आचार्य बुद्धघोष 'पिटकत्तयलक्खण गन्ध' (पिटकत्रयलक्षण ग्रन्थ) नामक ग्रन्थ के भी रचयिता थे, किन्तु यह ग्रन्थ भी आज नहीं मिलता । महाकाव्य की शैली पर बुद्ध जीवनी के रूप में लिखित 'पद्यचूडामणि' नामक ग्रन्थ भी जिसे मद्रास सरकार ने प्रकाशित करवाया था, उसके सम्पादक कुप्पूस्वामी शास्त्री के द्वारा अट्ठकथाचरिय वुद्धघोष की रचना बतलाया गया है । उसकी भिन्न शैली के साक्ष्य पर डा० विमलाचरण लाहा ने उसे पालि अट्ठकथाकार बुद्धघोष की रचना नहीं माना है । हमें भी यही मत समीचीन जान पड़ता है । पालि - साहित्य में बुद्धघोष का स्थान इस प्रकार आचार्य बुद्धघोष के विशाल ज्ञान की कुछ झलक हम ने देखी है । वास्तव में पालि साहित्य के एक पूरे युग के वे विधायक हैं जिसका प्रभाव अभी भी नि:शेष नहीं हुआ है । उनके 'विसुद्धि-मग्ग' की ज्ञान - गरिमा पालि-साहित्य २. इस अट्ठकथा के अनुसार अशोक के काल तक उत्पन्न १८ बौद्ध सम्प्रदायों और उनके मतों का उल्लेख हम पाँचवें अध्याय में 'कथावत्यु' के विश्लेषण के प्रसंग कर आ चुके हैं। २ पद्य - चूड़ामणि की विषय-वस्तु और शैली के विवरण तथा डा० लाहा के तत्सम्बन्धी निष्कर्ष के लिए देखिये उनका 'दि लाइफ एंड वर्क ऑव बुद्धघोष', पृष्ठ ८५-९१ ३४
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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