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________________ ( ५२० ) समाधि-स्कन्ध (परिच्छेद ३-१३) ३. कर्मस्थानों (समाधि के आलम्बनों) को ग्रहण करने का निर्देश (कम्मट्ठानगहण निद्देसो)--समाधि-भावना की दस बाधाओं' (पलिबोधा) को छोड़ने का उपदेश । ___४. पृथ्वी कृत्स्न (ध्यान-विशेष) का निर्देश (पयवीकसिणनिद्देसो)-- पृथ्वी-कृत्स्न नामक ध्यान का विवरण। समाधि के अयोग्य १८ स्थानों को छोड़ने का आदेश एवं चार ध्यानों का विस्तृत विवरण ।। ५. शेप कृत्स्नों (ध्यान विगेषों) का निर्देश (सेसकसिणनिद्देसो)-- पृथ्वी-कृत्स्न से अतिरिक्त शेष आपो-कृत्स्न (जल-कृत्स्न) आदि ९ ध्यानों का विवरण । ६. अशुभ कर्मस्थान का निर्देश (असुभकम्मट्टान निद्देसो)--शरीर की गन्दगियों के ध्यान के द्वारा अर्पणा-समाधि की प्राप्ति का उपाय । ७. छह अनुस्मृतियों का निर्देश (छ अनुस्सति निद्देसो)--बुद्ध धर्म, संघ, शील, त्याग और देवताओं की अनुस्मृतियाँ । ८. अनुस्मृति और कर्म-स्थान का निर्देश (अनुस्मति कम्मट्ठान निद्देसो) १. यथा आवास, कुल, लाभ, गण, काम, मार्ग, जाति-बन्धु, रोग, ग्रन्थ (-रचना) और ऋद्धि (योग-विभूति) २. यथा (१) बहुत बड़ा विहार, (२) बिलकुल नया विहार, (३) बहुत पुराना विहार, (४) सड़क के किनारे स्थित, (५) तालाब के किनारे स्थित, (६-८) पेड़, फूल और फलों वाले बागों से युक्त , (९) अति प्रसिद्ध, (१०) नगर के बीच में स्थित, (११) अधिक पेड़ों के बीच स्थित, (१२) खड़ी फसलों वाले खेत के समीप, (१३) झगड़ालू भिक्षु जहाँ रहते हों, (१४) जहाँ के व्यक्ति अ-धार्मिक हों, (१५) सीमा-प्रान्त में अवस्थित , (१६) अ-रक्षित स्थान में स्थित और (१८) जहाँ कल्याण-मित्र (आध्यात्मिक गुरु या मार्ग द्रष्टा) न मिल सके।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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