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________________ ( ४७० ) ऊपर विपयों के अनुसार बुद्ध-वचनों का जो वर्गीकरण किया गया है उसमें पहले संक्षिप्त विवेचन कर के फिर उनमें निर्दिष्ट धर्मों को एक दूसरे से मिलाकर कर अन्य अनेक वर्गीकरण करने की प्रवृत्ति दिखलाई पड़ती है । संकिलेस, वामना, तण्हा और असेख के आधार पर ऐसे ही वर्गीकरण ऊपर किये गये हैं। निश्चयतः यह अभिधम्म की प्रणाली है । 'उद्देस' के बाद 'निद्देस' देने की अभिधम्म की निश्चित प्रणाली है, यह हम अभिधम्म-पिटक के विवेचन में देख चुके है। उसी का अनुवर्तन इस ग्रन्थ में किया गया है, जैसा उसकी ऊपर दी हुई विषयनालिका से स्पष्ट है । इतना ही नहीं, सिद्धान्तों के विवेचन में भी अभिधम्म का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई पड़ता है । जैसा ऊपर दिखाया जा चुका है, परिक्खारहार के विवेचन में पट्ठान के हेतुओं और प्रत्ययों की स्पष्ट प्रतिध्वनि है । यहाँ 'नेत्ति' के लेवक ने उसे पूरी तरह न लेकर अपने निरुक्ति सम्बन्धी प्रयोजन के अनुसार ही लिया है । इसीलिये 'हेतु' और 'प्रत्यय' का विभेद यहाँ इतना स्पष्ट नहीं हो पाया । लौकिक और अलौकिक का विभेद भी 'नेत्तिपकरण' में किया गया है । यह भी अभिधम्म के प्रभाव का सूचक है । नेत्तिपकरण और अभिधम्म की शैली के इस पारस्परिक सम्बन्ध का ऐतिहासिक अर्थ क्या है ? स्पष्टतः यही कि नेत्तिकपरण की रचना अभिधम्म-पिटक के बाद हुई। किन्तु श्रीमती रायस डेविड्स ने इसके विपरीत यह निष्कर्ष निकाला है कि 'नेत्तिपकरण' कम से कम ‘पट्ठान' से पूर्व की रचना है।' उनके इस मत का मुख्य आधार यही है कि नेति-पकरण में अभी हेतु और प्रत्यय का भेद उतना स्पष्ट नहीं हुआ है जितना ‘पठान' में। किन्तु क्या यह 'नेत्तिपकरण' के आवश्यकता के अनुरूप नहीं हो मकता? क्या इस कारण नहीं हो सकता कि 'नेत्तिपकरण' के लेखक को यहाँ अभिधम्म की सूक्ष्मता में न जाकर केवल उसके निरुक्ति-सम्बन्धी प्रयोजन को ग्रहण करना था ? अभिधम्म-पिटक के संकलन या प्रणयन के काल के सम्बन्ध में जो विवेचन हम पहले कर चुके है, उसकी पृष्ठभूमि में नेत्तिपकरण को उसके वाद १. जर्नल ऑव रॉयल एशियाटिक सोसायटी, १९२५, पृष्ठ १११-११२; विटर नित्ज ने भी उनके इस साक्ष्य को स्वीकार किया है। देखिये उनका हिस्ट्री ऑव इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १८३
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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