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________________ ( ३९४ ) में धम्मों के स्वरूप को उन वर्गीकरणों में भी, जिनको पहले नहीं लिया जा सका है, समझा दिया गया है। तीसरे कांड (निक्खेप कंड) और चौथे कांड (अत्थु द्धारकंड) में शेष २१ त्रिकों और १०० द्विकों में धम्मों का क्या स्वरूप होगा, इसी को प्रश्नोत्तर के द्वारा समझाया गया है । निवखेपकंड' के कुछ प्रश्नोत्नरों को लीजिये-- (१) कतमे धम्मा सुखाय वेदनाय सम्पयुत्ता ? यस्मि समये कामावचरं कुसलं चित्तं उप्पन्नं होति सोमनस्ससहगतं आणसम्पयुत्तं रूपारम्मणं वा सद्दारम्मणं वा गंधारम्मणं वा रसारम्मणं वा फोट्ठव्वारम्मणं वा धम्मारम्मणं वा ये वा पन तस्मि समये अपि पटिच्चसम्प्पन्ना अरूपिनो धम्मा ठपेत्वा वेदनाक्खन्धं, इमे धम्मा सुखाय वेदनाय सम्पयुत्ता।' (२) कतमे धम्मा कुसला ? __तीणि कुसलमूलानि-अलोभो, अदोसो, अमोहो, तंसम्पयुत्तो बेदनाक्खन्धो, साक्खन्धो, संखारक्षन्धो, निब्बाणक्खन्धो, तंसमुट्टानं कायकम्म, वचीकम्म, मनोकम्म, इमे धम्मा कुसला । (३) कतमे धम्मा सप्पच्चया ? पंचक्खन्धा, रूपक्खन्धो, वेदनाखन्धो, सञ्जाक्खन्धो, संखारक्खन्धो, 'विज्ञाणक्खन्धो, इमे धम्मा सप्पच्चया ।३ १. कौन से धर्म (पदार्थ) सुख की संवेदना से युक्त हैं ? जिस समय कामावचर-भूमि में कुशल-चित्त उत्पन्न होता है, सौमनस्य और ज्ञान से युक्त, एवं रूप, शब्द, गन्ध, रस, स्पर्श और धर्म का आलम्बन ले कर, तो उस समय वह और अन्य भी प्रतीत्यसमुत्पन्न अरूपवान् पदार्थ, वेदना-स्कन्ध को छोड़ कर, जो उस समय पैदा होते हैं, वे सभी सुख की संवेदना से युक्त धर्म (पदार्थ) हैं। पालि-पाट, अभिधम्म-फिलॉसफी, जिल्द दूसरी , पृष्ठ ९५ में उद्धृत। २. कौन से धर्म कुशल हैं ? तीन कुशल-मूल, यथा अलोभ, अद्वेष, अमोह, इनसे युक्न तीन स्कन्ध, यथा वेदना-स्कन्ध, संज्ञा-स्कन्ध, संस्कार-स्कन्ध, इनसे उत्पन्न तीन प्रकार के कर्म यथा कायिक कर्म, वाचिक कर्म, मानसिक कर्म, यही सब धर्म कुशल हैं। ३. कौन से धर्म प्रत्ययों वाले है ? पाँच स्कन्ध, जैसे कि रूप-स्कन्ध, वेदना-स्कन्ध, संज्ञा-स्कन्ध, संस्कार-स्कन्ध, विज्ञान-स्कन्ध, यही धर्म प्रत्ययों वाले हैं ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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