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________________ ( ३४८ ) स्कन्धों में विश्लेषण के अतिरिक्त अन्य प्रकार के विश्लेषण भी सुत्तन्त में किये गये हैं। उनमें दो मुख्य हैं। पहले व्यक्ति के साथ बाह्य संसार के संबंध की व्याख्या करने के लिए १२ आयतनों का विवेचन किया गया है, जो इस प्रकार है:-- १. चक्ष (चक्ख) ४. जिह्वा ७. रूप १०. रस २. श्रोत्र (सोत) ५. काय ८. गब्द (सह) ११. स्पृष्टव्या (फोटटब्ब) ३. घ्राण (घाण) ६. मन . गन्ध १२. धम्म __ इनमें व्यक्ति (द्रष्टा) का विश्लेषण प्रथम छ: आयतनों के रूप में किया गया है, जो आध्यात्मिक आयतन (अज्झतिक आयतन) कहलाते है। वाह्य संसार (दृश्य) का विश्लेषण बाद के छ: आयतनों के रूप में किया गया है, जो बायआयतन (वाहिर आयतन) कहलाते है । इष्टा और दृश्य के संबंध और उनके उपादान में उत्पन्न होने वाली चेतना को ध्यान में रखकर आन्तरिक और बाह्य संसार का १८ धातुओं में भी विश्लेषण किया गया है, जो इस प्रकार है-- १. चक्षु (चक्खु) ७. रूप १३. चक्षु-विज्ञान (चक्व-विाण) २. श्रोत्र (सोत) ८. गब्द (मद्द) १४. श्रोत्र-विज्ञान (सोत-विज्ञआण) ३. घ्राण (घाण) ९. गन्ध १५. घ्राण-विज्ञान (घाण- विआण) ४. जिह्वा १०. रस १६. जिह्वा-विज्ञान (जिह्वा- विआण) ५. काय ११. स्पृष्टव्य १७. काय-विज्ञान (काय-विाण) (फोट्ठब्ब) ६. मन १२. धर्म (धम्म) १८. मनो-विज्ञान (मनो- विआण) उपर्यक्त तीनों प्रकार के विश्लेषण मुत्त-पिटक में सामान्यतया मिलते है। संयुत्त-निकाय में पूरे संयुत्तों के नाम इनके विवेचन के आधार पर ही रक्खे गये हैं, जैसे खन्ध-संयुत्त, आयतन-संयुन, धातु-मंयत्त । स्कन्ध आयतन और धातुओं का उपदेश भगवान् बुद्ध का मल उपदेश था, इसका सर्वोत्तम १. देखिये विशेषतः आयतन-संयुत्त (संयुत्त-निकाय) २. देखिये विशेषतः धातु-संयुत्त (संयुत्त-निकाय)
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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