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________________ । ३१८ ) सकता । ऐसा करने पर वह अपगधी ठहरता है, उसे प्रायश्चित्त करना पड़ता है और वह वस्तु संघ को लौटा देनी पड़ती है। ९२ पाचित्तिया धम्मा ९२ अपराधों की एक सूची एसी है जिन्हें करने पर प्रायश्विन करने के वाद अपराधमुक्त कर दिया जाता है। चीनी विनय-पिटक शिवन-ग्त्स् ि (धम्मग तिक सम्प्रदाय का विनय-पिटक) में इस श्रेणी के केवल १० अपगधों का उल्लेख है। इन सब अपराधों का विवरण यहाँ अनावश्यक होगा। मंघ-शामन की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होते हुए भी पालि साहित्य के इतिहास में तो इनका मंक्षिप्त निर्देग ही हो सकता है। अधिकतर नियम ऐसे हैं जो उस समय के देवकाल आदि से सम्बन्ध रखते है. किन्तु ऐसे भी कम नहीं हैं जिनका उपयोग मब काल, और मव देश के लिये है । भिक्ष के लिये एक बार भोजन कन्ना, भिक्षुणी को उपदेश देते समय सावधान और जागरूक रहना, भिक्षु-पद के गौरव की रक्षा करना, आदि बातें ऐसी हैं जिनका उल्लंघन करने पर भिक्षुओं को प्रायश्चित्त कर आगे के लिये संयम-रक्षा का संकल्प लेना पड़ता था । झट बोलना. गाली देना. चगली करना, नशीली चीजों का प्रयोग करना, आदि अपराधों के करने पर भी प्रायश्चित करने के बाद आगे के लिये वैमा न करने के लिये कृत-संकल्प होना पड़ता था। चार पटिदेसनिया धम्मा 'पटिदेसनिया धम्मा' का अर्थ है वे वस्तुएं जिनके लिये प्रतिदेशना (क्षमायाचना) आवश्यक हो । किमी अज्ञात भिक्षुणी द्वारा भोजन-प्राप्ति. भोजन के ममय किसी भिक्षुणी को भिक्षुओं के प्रति आदेश देती हुई देखकर भी उसे न रोकना. विना पूर्व निमत्रण के अपने स्थान पर किमी गृहस्थ के हाथ से भोजन ग्रहण करना तथा उपद्रव-ग्रस्त वन में किसी गृहस्थ को वही बुलवा कर उसके हाथ से भोजन की प्राप्ति, इन चार अपराधों के लिये क्षमा याचना करनी पड़ती है : ७५ सेखिया धम्मा 'सखिया धम्मा' या शैक्ष्य धर्म वे है जिनका सम्बन्ध बाहरी शिष्टाचार वस्त्र पहनने के ढंग और भोजन आदि करने के नियमों से है । भिक्षु को किस प्रकार ठीक वस्त्र पहनकर भिक्षा-चर्या के लिये जाना चाहिये, किस प्रकार शरीर औ
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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