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________________ ( २८१ ) ही 'जातकट्ठवण्णना' की रचना की। किन्तु यह सन्दिग्ध है। रायस डेविड्स ने बुद्धघोष को 'जातकट्ठवण्णना' का रचयिता या संकलनकर्ता नहीं माना है ।' स्वयं जातकट्ठकथा के उपोद्घात में लेखक ने अपना परिचय देते हुए कहा है ". . . . . . शान्तचित्त पंडित बुद्धमिन और महिशामक वंग में उत्पन्न, शास्त्रज्ञ, शुद्धवुद्धि भिक्षु बुद्धदेव के कहने से . . . . . . व्याख्या करूंगा।"5 महिंगामक सम्प्रदाय महाविहार की परम्परा मे भिन्न एक बौद्ध सम्प्रदाय था। बुद्धघोष ने जितनी अट्ठकथाएँ लिखी है, मृद्ध महाविहार वामी भिक्षुओं की उपदेश-विधि पर आधारित (महाविहारवासीनं देसनाननिस्मितं---विसुद्धिमग्गो) हैं। अतः जातकट्ठकथा के लेखक को आचार्य बुद्धघोष से मिलाना ठीक नहीं। सम्भवतः यह कोई अन्य सिंहली भिक्षु थे, जिनका काल पांचवी शताब्दी ईमवी माना जा सकता है। जातक-कथाएं, जैसा पहले कहा जा चुका है, भगवान् बुद्ध के पूर्व-जन्मों से सम्बन्धित है। बोधिसत्व की चर्याओं का उनमें वर्णन है । अतः वे सभी प्रायः उपदेशात्मक हैं। परन्तु उनका साहित्यिक रूप भी निखरा हुआ है। उपदेशात्मक होते हुए भी वे पूरे अर्थों में कलात्मक है। कुछ जातक-कथाओं का सारांश देकर यहाँ उनकी विषय-वस्तु के रूप को स्पष्ट कर देना आवश्यक होगा। 'जातक' के आदि में निदान-कथा (उपोद्घात) है, जिसमें भगवान् बुद्ध के पहले के २७ बुद्धों के विवरण के साथ-माथ भगवान् गौतम बुद्ध की जीवनी भी जेतवन-विहार के दान की स्वीकृति तक दी गई है। अब कुछ जातकों की कथा वस्तु का दिग्दर्शन करें। अपण्णक जातक (१) व्यापार के लिए जाते हुए दो बनजारों की कथा है । एक दैत्यों के हाथ मारा गया, दूसरा बुद्धिमान होने के कारण अपने पांच सौ साथियों सहित सकुशल घर लौट आया। कण्डिन जातक (१३)-~कामुकता के कारण एक मृग गिकारी के हाथों मारा गया। मखादेव जातक (९)--सिर के सफेद वाल देख कर राजा सिंहामन छोड़ कर वन चला गया। मम्मोदमान जातक (३३) १. पृष्ठ ५९ (जर्नल ऑव पालि टैक्स्ट सोसायटी, १८८६, म प्रकाशित संस्करण) २. बद्धिस्ट बर्थ स्टोरीज, पृष्ठ ६३ (भूमिका) ३. जातक, प्रथम खण्ड, पृष्ठ १-२ (भदन्त आनन्द कौसल्यायन का अनुवाद) देखिये, वहीं पष्ठ २३ (वस्तुकथा) भी।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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