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________________ के अन्य भागों में भी मिलती है। धम्मपद के पालि संस्करण के अतिरिक्त कुछ अन्य संस्करण भी मिलते है। उनका भी उल्लेख कर देना यहाँ आवश्यक होगा। इस प्रकार के मख्यतः चार संस्करण उपलब्ध है। सर्वप्रथम प्राकृत धम्मपद है। खोतान में खंडित खरोष्ट्री लिपि में यह प्राप्त हुआ है। यह बिलकुल अपूर्ण अवस्था में है और यह नहीं कहा जा सकता कि इसका मौलिक स्वरूप क्या था। इस ग्रन्थ का सम्पादन पहले फ्रेंच विद्वान् सेना ने किया था। बाद में इसका सम्पादन डा० वेणीमाधव वाडुआ और सुरेन्द्रनाथ मित्र ने किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ में १२ अध्याय हैं. जिनकी अनरूपता पालि-धम्मपद के साथ इस प्रकार है--- प्राकृत धम्मपद पालि धम्मपद दर्ग-क्रम वर्ग-नाम और गाथाओं की संख्या इनके अनरूप क्रम, नाम और गाथाओं की संग्या जो पालि धम्म पद में पाई जाती है मगवग ३० २० मग वग्ग १७ अप्रमाद वग २५ २ अप्पमाट बग्ग १२ चितवग ५ (अपूर्ण) ३ चिन वग्ग ११ पुप वग १५ ४ पृष्फ बग्ग १६ सहस वग १७ ८ सहस्म वग्ग १६ पनित वग या धमठ वर्ग १० पंडित बंग्ग १४ १९ धम्मट्ठ बग्ग १७ बाल वग ७ (अपूर्ण) ५ बाल वग्ग १६ जरा वग २५ ११ जरावग्ग ११ सह वग २० १५ मख वग्ग १२ तप वग ७ (अपूर्ण) २८ तण्हा वग्ग २६ भिख वग ४० २५ भिक्ख वग्ग २३ ब्राह्मण वग ५० २६ ब्राह्मण वग्ग ४१ Gns www 6 १. देखिये वाडुआ और मित्र : प्राकृत धम्मपद, पृष्ठ ८ (भूमिका)
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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