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________________ करने वालों ) में यह काल-उदायी अग्र है। (३३) अल्पाबावों (निरोगों) में यह वक्कूल अग्र है। (३४) पूर्व-जन्म स्मरण करने वालों में यह शोभित अग्र है। (३५) विनय-घरों में यह उपालि अग्र है। (३६) भिक्षणियों के उपदेशकों में यह नन्दक अग्र है। (३७) जितेन्द्रियों में यह नन्द अग्र है। (३८) भिक्षुओं के उपदेशकों में यह महाकप्पिन अग्र है। (३९) नेज-धातु-कुशलों में यह स्वागत अग्र है। (४०) प्रतिभागालियों में यह राध अग्र है (४१) मक्ष चीवरधारियों में यह मोघराज अग्र है। (४२) भिक्षुओ ! मेरी रक्तज भिक्षणीश्राविकाओं में महाप्रजापनि गोतमी अग्र है । (४३) महाप्राजाओं में खेमा अग्र है (४४) ऋद्धिमतियों में उत्पलवर्णा अग्र है । (४५) विनय धारण करने वालियों में पटाचारा अग्र है। (४९) धर्मकथिकाओं में धम्मदिन्ना अग्र है। (४७) ध्यानियों में नन्दा अग्र है। (४८) आरब्धवीर्यायों में मोणा अग्र है। (४९) क्षिप्राभिजाओं में भद्रा कुंडल केशा अग्र है (५०) पूर्व जन्म की अनुस्मृति करने वालियों में भद्रा कापिलायिनी अग्र है। (५१) महा-अभिज्ञाप्राप्तों में भद्रा कात्यायनी। (५२) मक्ष चीवरधारिणियों में कृणा गौतमी (५३) श्रद्धा-युक्त भिक्षुणियों में श्रृगाल-माता। (५५-५६) भिक्षुओ! मेरे उपासक श्रावकों में प्रथम शरण आने वालों में तपम्म और भल्लुक वणिक अग्र हैं । (५७) दायकों में अनाथ-पिडिक मदन गृहपति अग्र है । (५८) धर्मकथिकों (धर्मोपदेप्टाओं) में मच्छिकापण्डवामी चित्र गृहपति अग्र है। (५९) चार संग्रह-वस्तुओं मे परिषद् को मिलाकर रखने वालों में हस्तक आलवक अन है। (६०) उत्तम दायकों में महानाम शाक्य अग्र है। (६१) प्रिय. धायकों में वैशाली का निवासी उग्र गृहपति अग्र है । (६२) संघ-सेवकों में उद्गत (उग्गत) गृहपति अग्र है। (६३) अन्यन्त प्रसन्नों में शूर अम्बष्ट अग्र है । (६४) व्यक्तिगत प्रमन्नों में जीवक कौमार भून्य अग्र है। (६५) विश्वासकों में नकुल-पिता गृहपति अग्र है। (६६) भिक्षुओ ! मेरी उपासिका श्राविकाओं में प्रथम शरण आने वालियों में सेनानी दुहिता सुजाता अग्र है। (६७) दायिकाओ में विशाखा मृगारमाना अग्र है । (६८) बहुश्रुताओं में खुज्जुनरा (कुब्जा उनग) अग्र है । (६९) मंत्री विहार प्राप्त करने वालियों में सामावती (श्यामावती) अग्र है। (७०) ध्यानियों में उत्तरा नन्दमाता अग्र है। (७१) प्रणीत दायिकाओं में मप्रवामा कोलिय-दुहिता अग्र है। (७०) गेगी की मेवा करने वालियों में मप्रिया उपामिका अग्र है। (७३)
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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