SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३ ) अत्यन्त प्रामाणिक विवरण दिया है । पालि भाषा और साहित्य का अत्यन्त सूक्ष्म और गम्भीर विद्वत्तामय विवेचन जर्मन विद्वान् डा० विल्हेल्म गायगर ने अपने ग्रन्थ 'पालि लिटरेचर एण्ड लेंग्वेज' (अंग्रेजी अनुवाद, कलकत्ता, १९४३) में किया है । इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ में पालि साहित्य का निर्देश तो अपेक्षाकृत संक्षिप्त रूप में किया गया है (पृष्ठ ९ - ५८), किन्तु पालि भाषा का शास्त्रीय दृष्टि से जितना सूक्ष्म और विस्तृत विवेचन (पृष्ठ १-७ तथा ६१ - २५० ) इस ग्रन्थ में उपलब्ध होता है उतना अन्यत्र कहीं नहीं । पालि भाषा और साहित्य दोनों के परिपूर्ण और श्रृंखलाबद्ध विवेचन की दृष्टि से डा० विमलाचरण लाहा का दो जिल्दों में प्रकाशित 'हिस्ट्री ऑव पालि लिटरेचर' ( लन्दन, १९३३) एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, यद्यपि इसका भाषा सम्बन्धी विवेचन डा० गायगर के ग्रन्थ के सामने नगण्य सा है । पालि साहित्य सम्बन्धी इन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के अलावा उसके विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले अनेक प्रबन्ध एवं परिचयात्मक निबन्ध आदि हैं, जो पालि टैक्स्ट् सोसायटी के 'जर्नल' में अनुसन्धेय हैं। रॉयल एशियाटिक सोसायटी के ' जर्नल' तथा एन्साइक्लोपेडिया ऑव रिलिजन एण्ड एथिक्स में भी प्रासंगिक तौर पर पालि साहित्य सम्बन्धी प्रभूत सामग्री मिलती है । पालि टैक्स्ट सोसायटी लन्दन के अंग्रेजी अनुवादों की भूमिकाओं और अनुक्रमणिकाओं में भी भारी सामग्री भरी पड़ी है, जिसका उपयोग पालि साहित्य के किसी भी इतिहासकार के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो सकता है । सम्पूर्ण पालि साहित्य में प्राप्त व्यक्तिवाचक नामों का विवरणात्मक कोश (पालि डिक्शनरी ऑव प्रॉपर नेम्स ) जिसे अत्यन्त परिश्रम और विद्वत्ता के साथ सिंहली विद्वान् डा० मललसेकर ने, विशेषतः पालि टैक्स्ट सोसायटी के अनुवादों की अनुक्रमणियों के आधार पर, ग्रथित किया है, पालि साहित्य के विद्यार्थियों के लिए सदा एक प्रेरणा की वस्तु रहेगी । पालि साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर विवेचन हमें कर्न के 'मैनुअल ऑव इन्डियन बुद्धिज्म (स्ट्रैसबर्ग १८९६), रायस डेविड्स के 'बुद्धिज्म: इट्स हिस्ट्री एण्ड लिटरेचर' ( लन्दन, १९१०) एवं 'बुद्धिस्ट इंडिया' ( लन्दन, १९०३) आदि अनेक ग्रन्थों में मिलते हैं । वंश - साहित्य पर डा० गायगर का 'दीपवंस एण्ड महावंस' ( अंग्रेजी अनुवाद, कोलम्बो १९०८) एक महत्त्वपूर्ण समालोचनात्मक ग्रंथ है । अभिधम्मपिटक के विषय का विवेचन करने वाले प्रबन्धों और ग्रन्थों में स० ज०
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy