SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ११५ ) ५. परिवार पालि अभिधम्म-पिटक के ७ ग्रन्थों के साथ सर्वास्तिवादी अभिधर्म-पिटक के सात ग्रन्थों की, जहाँ तक उनके नामों का सम्बन्ध है, पर्याप्त समानता है, किन्तु विषय समान नहीं हैं । यथा, स्थविरवादी अभिधम्म-पिटक के ग्रन्थ सर्वास्तिवादी अभिधर्म-पिटक के ग्रन्थों के साथ उनके नामों को समानता १. धम्मसंगणि धर्म स्कन्धपाद २. विभंग विज्ञानकायपाद ३. पुग्गल पञ्जत्ति प्रज्ञप्तिपाद ४. धातुकथा धातुकायपाद ५. पट्ठान ज्ञानप्रस्थान ६. यमक मंगीतिपर्यायपाद ७. कथावत्थुपकरण प्रकरणपाद ऊपर स्थविरवादी और सर्वास्तिवादी सम्प्रदायों के साहित्य की समानताओं का दिग्दर्शन मात्र किया गया है। पालि त्रिपिटक के प्रत्येक पिटक या उसके अंशों का विवेचन करते समय आवश्यकतानुसार हम उनकी तुलना सर्वास्तिवादी पिटक के अंशों के साथ करेंगे। अभी जो कहा जा चुका है उससे इतना स्पष्ट है कि दोनों सम्प्रदायों के सुत्त और विनय-पिटक में काफी समानता है और जो विभिन्नताएं हैं वे प्रायः उसी प्रकार की हैं जैसी वेद की विभिन्न शाखाओं के पाठों में पाई जाती हैं। केवल अभिधम्म-पिटक की विषय-वस्तु में अन्तर है। अतः स्पष्ट है कि पालि-त्रिपिटक के कम से कम वे अंश जो सर्वास्तिवादी त्रिपिटक से समानता रखते हैं, अर्थात् सुत्त-पिटक और विनय-पिटक के अनेक महत्त्वपूर्ण अंश, सर्वांश में प्रामाणिक हैं और उनके बुद्ध-वचन होने में कोई सन्देह नहीं हो मकता। इसी अध्ययन से यह भी स्पष्ट है कि पालि-अभिधम्म-पिटक की प्रमाणवत्ता निश्चय ही सुत्त और विनय के बाद की रह जाती है, कम से कम उसके विषय में सन्देह तो दृढमूल हो ही जाता है। इस विषय का विस्तृत विवेचन हम पाँचवें अध्याय में अभिधम्म-पिटक की समीक्षा करते समय करेंगे। सर्वास्तिवादी और स्थविरवादी परम्पराओं में जिन वातों पर मत-भेद है अथवा उनके साहित्य में जहाँ विभिन्नता है, वहाँ हमें यह मोचना पड़ेगा कि किस का साक्ष्य अधिक प्रभाव
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy