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________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्क ५४ श्रीः ॥ कर्णल ऐविलोल कुंडलएमा पनि नदी मुक्त विष परिमित्र सम्म लिकी सीता 4. ललितलोचनांशी मुली मानकांची राजदी होती नुवनेश्वरी मनुदिनं नंदामात २ पक्षामुत्पादिमहोर्मिमालाकु वितत्यक्षक द्रियमकरकुंडलवत् स्वगाहस्पानवस्त प्रबन्सोमरा संसारवां निषेः प्रवणत्यात मित्र सकलसेमदकापटं गायाः प्रसाद्मासाद्य चतुराननेोपिसर्गादिनिखिल लिमाजादितास्तु देश विद्याः समेकुत सोचकर जननीमिवाद्यतां कल्पवली मिवात्तिमत फलानां रुचिश्व रण संक्रम एतः करुणपान भरोसे नाथन भाना-पिनपाएनाएिमय मंत्री एटिक सकल चराचरए मंडितांवरशनोस कि किसी कनकाएकलितषिद्ध लत्ततावपितोदक जिंदवन्वजासमाना मल मुक्ताफल प्रकार विभूषित पीनो बत्तपयोधाः नचनंश्ककु सुमसुम सातिरस्करीरीक लव कमलप्रतिदेिवितवानामी करकुंडला चचंद्रकलावतं तदेशांम सिमाधियविराजमानानुवनेशानी विद्यतकलागमाचार्यचक्रवर्तिएवीधराचार्यविरचित्त मात्र य पापरिवारंवाल प्रबोधिनीय- कलविमल पट्ट्ीपिकांवित्वया मीतिप्रतिज्ञानीतेषुभनामपण्डितुष्टीकाकारः ॥ 'ख' प्रतिका आदिपृष्ठ
SR No.010619
Book TitleBhuvaneshvari Mahastotram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages207
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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