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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २. बलात्कार गण-प्राचीन ४१ भूमिपकिरीटताडितकोमळनखरश्मिनेमिचंद्रमुनींद्रं ।। २३ श्रीधरवनजदसिरियं साधिपेनेबतिरेसेव मधुपन तेरनं श्रीधरपदसरसिजदोळ् साधिपवोलेसेदु वासुपूज्यं पोल्तं ।।२४ बृंहितपरमतमदकरिसिंहं त्रैविद्यवासुपूज्यानुजनुद् घांसस्संहरनेसेद संहृतकामं यशस्विमलयाबुधं ।। २७ अतिचतुरकविकदंबकनुतपद्मप्रभमुनीशराद्धांतेशं । श्रुतकीर्तिप्रियनेसेसं यतिपत्रविद्यवासुपूज्यतनुजं ॥ २८ स्वस्ति श्रीमच्चालुक्यविक्रमकालद १२ नेय प्रभवसंवत्सरद पौषकृष्णचतुर्दशी वड्ड वारदुत्तरायण संक्रांतियंदुः ॥ ( उपर्युक्त पु. ६३६ ) लेखांक ९२ - नेसर्गी शिलालेख कुमुदचंद्र श्रीमूलसंघद बलात्कारगणद श्रीपार्श्वनाथदेवर श्रीकुमुदचंद्रभट्टारकदेवर गुड बाडिगसान्ति सेहियरु मुख्यवागिनखरंगळु माडिसिद नखर जिनालय ।। ( उपर्युक्त पृ. ३६४ ) लेखांक ९३ - संभवनाथ मूर्ति देशनंदी संवत १२५८ श्रीबलात्कारगणे पंडित श्रीदेशनंदी गुरुवर्यवरान्वये साधु सीलेण तस्य भार्या हर्षिणी तयोः सुत साधु गासूल सांतेण प्रणमति नित्यं ।। ( पावागिरि, अ. १२ पृ. १९२) लेखांक ९४ - सोनागिरि शिलालेख कनकसेन मंदिर सह राजत भये चंद्रनाथ जिन ईस । पोश सुदी पूनम दिना तीन सतक पैतीस ॥ मूलसंघ अर गण करो बलात्कार समुझाय । श्रवणसेन अरु दूसरे कनकसेन दुइ भाय ॥ चीजक अक्षर बांचक कियो सुनिश्चय राय। और लिख्यो तो बहुतसो नहि पयो लखाय ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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