SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 333
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ७५१] १६. काष्टासंघ-नन्दीतट गच्छ २८७ लेखांक ७४८ - अष्टद्रव्य छप्पय काष्ठासंघ-उदयाचल दिनमनिसम गुरु वंदिए। सुरेंद्रकीर्ति पत्कज भ्रमर पामो कहे अर्घक दिए ॥ ९ (ना. १२३) लेखांक ७४९ - नवकार पचीसी गछ नंदीतट नाम धरातल काष्ठासंघ विद्यागण धारै। रामसुसेन परंपरमाहि सुरेंद्रकीरति भट्टारक वारै ॥ संवत सत्तरसै वरसै फुनि अंक एकावन मान विचारै । आदिजिनेंद्र कला अधिकी धनसागरकी मति एम वधारै ॥ २४ बागड देस वसै नगरी अभिधान गिरीपुर इंद्रपुरीसी। कोटडिया किरपाल नरोत्तम हुंबड न्याति विसेसहि वीसी ॥ आदिजिनेंद्रभुवनबिचै जिनमूरति राजत कंचनकीसी । ब्रह्म भणे धनसागरजी तिहां पूरि भई नवकारपचीसी ॥ २५ (म. ८१) लेखांक ७५० - विहरमान तीर्थकर स्तुति गुज्जर खंडमें है गुजरात तिहां पुर राजपुरादिक नामी। हुंबड भट्टपुरा मनोहार जिनोकत मारगके बिसरामी ॥ संवत सत्तर त्रेपनमांहि तिहां श्रिय संघको आग्रह पामी । जोडि रची धनसागर सीतलनाथ जिनेसरके सिर नामी ॥ २६ काष्ठासुसंघ विख्यात वरिष्ठ नंदीतटगछ विद्यागणधारक । रामसुसेनपरंपरमाहि सुवासभूषण दूषणवारक ॥ पट्ट प्रभाकर है तिनको विद्यमान सुरेंद्रकीर्ति भट्टारक । तेह समे धनसागर ब्रह्म कवित्त बखान करै सुखकारक ।। २७ (म, ८२) लेखांक ७५१ - चौवीसी मूर्ति संवत १७५३ वर्षे वैसाख सुदि ७ सनौ श्रीकाष्ठासंघे लालबागडगच्छे लोहाचार्यान्वये तदनुक्रमे भ. श्रीप्रतापकीर्ति तदानाये बघेरवालज्ञातौ For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy