SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Achar श्रुतकीर्ति १२. बलात्कार गण-जेरहट शाखा लेखांक ५२३ - हरिवंशपुराण कुंदकुंदगणिणा अणुकम्मइ जायइ मुणिगण विविह सहम्मइ । गण बलत्त वागेसरि गच्छइ दिसंघ मणहर मइसच्छइ । पहाचंदगणिणा सुदपुण्णइ पोमणंदि तह पट्ट उवण्णइ । पुणु सुभचंददेव कम जायइ गणि जिणचंद तह य विक्खायइ । विज्जाणंदि कमेण उवण्णइ सीलवंत बहुगुण सुदपुण्णइ । पोमणंदि सिस कमिण ति जायइ जे मंडलायरिय विक्खायइ । मालवदेसे धम्मसुपयासणु मुणि देवेंदकित्ति पिउभासणु । तह सिसु अमियवाणि गुणधारउ तिहुवणकित्ति पबोहणसारउ । तह सिसु सुदकित्ति गुरुभत्तउ जेहि हरिवंसपुराणु पउत्तउ । ' ' 'संवतु विक्कमसेण णरेसह सहसु पंचसय बावण सेसह । मंडयगडु वर मालवदेसइ साहि गयासु पयाव असेसइ । णयर जेरहद जिणहरु चंगउ णेमिणाहजिणबिंबु अभंगउ । गंथु सउण्णु तत्थ इहु जायउ चउविह संसुणि सुणि अणुरायउ माघ किण्ह पंचमि ससिवारइ हत्थणखत्त समत्तु गुणालइ । ( अ. ११ पृ. १०६) लेखांक ५२४ - परमेष्ठिप्रकाशसार दह पण सय तेवण गय वासइ पुणु विक्कमणिवसंवच्छरहे । तह सावणमासहु गुरुपंचमि सहु गंथु पुण्णु तय सहस तहे ।। मालव देस दुग्ग मंडवचलु वट्टइ साहि गयासु महाबलु। साहि णसीरु णाम तह गंदणु रायधम्म अणुरायउ बहुगुणु । तह जेरहट णयर सुपसिद्धउ जिण चेइहर मुणिसुपबुद्धइ । णेमीसर जिणहर णिवसंतइ विरयउ एहु गंथु हरिसंतइ । तेहि लिहाइहि णाणागंथइ इय हरिवंसपमुह सुपसत्थइ । विरइय पढम तमहि वित्थारिय धम्मपरिक्ख पमुह मणहारिय । इय परमिट्ठिपयाससारे अरुहादिगुणेहि वण्णणालंकारे अप्पसुदसुदकित्ति जहासत्ति महाकव्वु विरयंतो णाम सत्तमो परिच्छेउ समत्तो॥ ( अ. ११ पृ. १०७) For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy