SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भट्टारक संप्रदाय [२३६ - ___ महमदसाहिमणु रंजियउ विजहि वाइयमणु मंजियउ ॥ (बाहुबलि चरित of धनपाल, अ. ७ पृ. ८३) लेखांक २३७ - पट्टावली पद्मनंदी संवत १३८५ पोस सुदि ७ पद्मनंदीजी गृहस्थ वर्ष १५ मास ७ दीक्षा वर्ष १३ मास ५ पट्ट वर्ष ६५ दिवस १८ अंतर दिवस १० सर्व वर्ष ९९ दिवस २८ जाति ब्राह्मण पट्ट दिल्ली ।। [व. १०] लेखांक २३८ - गुर्वावली श्रीमत्प्रभाचंद्रमुनींद्रपट्टे शश्वत्प्रतिष्ठः प्रतिभागरिष्ठः । विशुद्धसिद्धान्तरहस्यरत्न-रत्नाकरो नंदतु पद्मनंदी ।। २८ (भा. १ कि. ४ पृ. ५३) लेखांक २३९ -- आदिनाथ मूर्ति ॐ संवत १४५० वर्षे वैशाख सुदी १२ गुरौ श्रीचाहुवानवंशकुशेशयमार्तण्डसारवै विक्रमन्य श्रीमत् सरूप भूपग्वान्वय झुंडदेवात्मजस्य भूवजशक्रस्य श्रीसुवरनृपतेः राज्ये वर्तमान श्रीमूलसंघे भ. श्रीप्रभाचंद्रदेव तत्पदे श्रीपद्मनंदिदेव तदुपदेशे गोलाराडान्वये .... (भा. प्र. पृ. ८) लेखांक २४० - भावनापद्धति श्रीमत्प्रभेन्दुप्रभुवाक्यरश्मिविकाशिचेतःकुमुदप्रमोदात् । श्रीभावनापद्धतिमात्मशुद्धथै श्रीपद्मनंदी रचयांचकार ।। ३४ [अ. ११ पृ. २५९] लेखांक २४१ - जीरापल्ली-पार्श्वनाथ स्तोत्र श्रीमत्प्रभेन्दुचरणाम्बुजयुम्मभृगश्चारित्रनिर्मलमतिर्मुनिपद्मनंदी। पार्श्वप्रभोविनयनिर्भरचित्तवृत्तिर्भक्त्या स्तवं रचितवान् मुनिपद्मनंदी ॥१० [अ. ९ पृ. २५० ] For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy