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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ९० लेखांक २२८ - १ मूर्ति ? www.kobatirth.org भट्टारक संप्रदाय एकान्तराद्युग्रतपोविधाता धातेव सन्मार्गविधेर्विधाने ।। २३ लेखांक २२९ – गुर्वावली संवत् १३८० वर्षे माघ सुदि ७ सनौ श्रीनंदिसंघे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे मूलसंघे कुंदकुंदाचार्यान्वये भ. शुभकीर्तिदेव तत्शिष्य सर्वीति ॥ -- Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ २२७ - लेखांक २३१ - गुर्वावली श्रीधर्मचन्द्रोजनि तस्य पट्टे हमीरभूपाल समर्चनीयः । सैद्धान्तिकः संयमसिन्धुचन्द्रः प्रख्यातमाहात्म्यकृतावतारः ॥ २४ [ भा. १ कि. ४ पृ. ५३ ] ( उपर्युक्त ) लेखांक २३० पट्टावली संवत १२७१ श्रावण सुदि १५ धर्मचंद्रजी गृहस्थ वर्ष १८ दीक्षा वर्ष २४ पट्ट वर्ष २५ दिवस ५ अंतर दिवस ८ सर्व वर्ष ६५ दिवस १२ जाति हूंब पट्ट अजमेर || लेखांक २३२ - पट्टावली ( चूलगिरि, अ. १२ पृ. १९२ ) धर्मचंद्र तत्पट्टेजनि रत्नकीर्तिरनघः स्याद्वादविद्यांबुधिः । नानादेशविवृत्तशिष्यनिवहः प्रायात्रियुग्मो गुरुः ॥ For Private And Personal Use Only (ब. १९ ) रत्नकीर्ति ( भा. १ कि. ४ पृ. ५३ ) संवत १२९६ भादवा वदि १३ रत्नकीर्तिजी गृहस्थ वर्ष १९ दीक्षा वर्ष २५ पट्ट वर्ष १४ दिवस ११ अंतर दिवस ६ सर्व वर्ष ५५ दिवस १९ हूं पट्ट अजमेर || ( ब. १० )
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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