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________________ --: जैनधारा के अन्तर्गत विषयों का अकारादि क्रम :-- प्रचौर्य भाव अनासक्ति मनोबल अपरिग्रह माया अप्रमाद मानव-जीवन अभय मुक्ति अभिमान मोह अहिसा राग-द्वेष प्रज्ञान लोभ प्रात्म-दर्शन वाणी-विवेक श्रात्म विजय विनय प्रात्म-स्वरूप वीतराग उद्बोधन वैराग्य उत्सर्ग-प्रपवाद सत्य क्रान्तवाणी सत्सग कर्म-प्रकर्म सदुपदेश कपाय सद्व्यवहार काम मदाचार चतुर्भ गो समभाव तत्वदर्शन सरलता तप सम्यग्दर्शन तितिक्षा सयम धर्म साधक जीवन पचामृत साधना पथ प्रश्नोत्तर सामाजिक चेतना पाप-पुण्य श्रद्धा ब्रह्मचर्य स्वाध्याय श्रमण श्रमणोपासक जान
SR No.010614
Book TitleSukti Triveni Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1968
Total Pages813
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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