________________
वारह
सूक्ति त्रिवेणी
४७ जहा पुण्ण कत्थइ, तहा तुच्छस्स कत्थइ ।
जहा तुच्छस्स कत्थइ, तहा पुण्स्स कत्थइ ।
--शरा
__ ४८ कुसले पुण नो बद्ध', न मुत्ते।
-१।२।६
४६ सुत्ता अमुणी,
मुरिणणो सया जागरन्ति ।
-~११३१
५० लोयसि जाण अहियाय दुक्व ।
-१।३।१
५१ माई पमाई पुण एइ गभं ।
--११३०१
५२ माराभिसकी मरणा पमुच्चइ ।
-~~~-११३०१
५३ पन्नाणेहिं परियारणह लोय मुणीत्ति वुच्चे।
५४. प्रारंभज दुक्खमिणं।
-~~- ११
५५ अकम्मस्स ववहारो न विज्जइ।
-१३।१
५६. कम्मुणा उवाही जायइ ।
-११३।१
५७ कम्ममूल च ज छण ।
-११३११
५८ सम्मत्तदमी न करेइ पाव ।
-~-१३।२