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________________ बाबू श्री पूर्णचन्दजी नाहर के पत्र ४६ बढा दिया है । विलायत से मगाने से कुछ सुभीते से मिल सकता है। यदि इन सभी की शीघ्र ही आवश्यकता हो तो समाचार लिखिएगा। आजानुसार यही से खरीद कर भेज देवेंगे, नही तो संग्रह करने में विलम्ब होगा आगे के पुस्तको के विल की चेक सोमवार को भेजने को लिखा था, किन्तु मुझे अभी तक मिला नही है । मिलने से लिखेंगे । विनय पीटक पूरी पाच खड मे मिलती है दाम रुपया सौ मागता है। दूसरी विनय पीटक ४ खड वन्धी हुई जिल्द की कीमत रु० ६५ मागता है। चाहिये तो लिखिएगा भेज देवेंगे। मझीम निकाय पूरी तीन जिल्द की कीमत ४५/- मागता है। वन्धी हुई जिल्द है । चाहिये तो लिखिएगा भेज देवेंगे । शोभा वाजार राजवाडी का मुख्य प्रकाशित बंगलाक्षर मे 'शब्द कल्पद्रुम' नाम का सस्कृत कोष का 'म' अक्षर तक ४ खड का रु० २०/-२० मागता है। लेने योग्य है । चाहिये तो लिखिएगा, भेज देवेंगे। आगे बगला ऐतिहासिक पुस्तके भी (अच्छी) कम मिलती है। आपके यहाँ कोई बगाली स्कॉलर हो तो उनसे लिस्ट बनवा कर भेजें तो ठीक है नही तो मेरे पसन्द माफिक कितने रुपये तक की भेजें लिखिएगा, और जो जो वगला पुस्तकें आपके यहाँ है उसकी लिस्ट भेज देवें ताकि डुप्लीकेट न हो जाये । पत्रोत्तर शीघ्र दीजिएगा और योग्य सेवा लिखिएगा। ज्यादा शुभ। पूरणचंद नाहर की वन्दना Spence Hardy की कोई Buddhism पर किताब चाहिये तो लिखिएगा। (६) Calcuita 13-3-1922 विद्वत्वर्य मुनि महाराज श्रीयुत जिनविजय जी महोदय की पवित्र सेवा मेजोग लिखी पूरणचन्द नाहर का सविनय वन्दना अवधारिएगा
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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