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________________ प्रख्यात एपिग्राफिस्ट डा. हीरानंद शास्त्री के पत्र १५५ (8) BARODA 30.5.38 श्री सुहृदवर मुनि जिनविजयजी शायद मेरा पत्र आपको मिला ही न होगा। नहीं तो आप उत्तर अवश्य देते । सुना था आप करांची पधारे है । वापस लौट आये होगे । मैं तो इस बीच मे कई बार पाटण गया आया। यदि आप पत्र का उत्तर देते तो मैं तार द्वारा सूचना देकर आपके दर्शन कर ही लेता। शायद आप गर्मी के कारण नही लिखते होंगे। विज्ञप्ति पत्रो पर जो लेख लिखा है उसमें मुझे आपके पास जो पत्र हैं “सीधी जी" वाला, उसके फोटो देने को कहा गया है सो या तो आप फोटो भेजें जो मि० N. C. मेहता ने छापे है, आपकी ही किताव मे। और या विज्ञप्ति पत्र भेजने की कृपा करे शीघ्र, नहीं तो मुझे कहे अपने PEON को भेजू । उत्तर शीघ्र दे। दर्शनेच्छु हीरानन्द शास्त्री (१०) बडोदा ताः ४-६-३० श्री विद्वद्वर महाशया. ! प्रापका १ जन का पत्र मिला। आपका पहला पत्र नहीं मिला। शायद भृत्य ने पोस्ट ही न किया हो अथवा मेरे से ही कही गिर गया हो। मैं तो समझ रहा था आप करांची पधारे है ऐसा मजुमदार ने कहा था । अस्तु । मैं पाटण दो बार जा चुका हूँ। मैं भी ताः १७ को वापस आया। इसी वार मैं उपाश्रय नही गया नहीं तो वही दर्शन हो जाते। मैं जव NA -
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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