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________________ पंजाब निवासी स्व. प्रख्यात एपिग्राफिस्ट डॉ. हीरानन्द शास्त्री के कुछ पत्र (१) कैंप नालंदा, पो. सिलाऊ ( बिहार ) ताः ६-४-२१ पूजनीय मुनिवर, आशा है आप सकुशल अपने स्थान पर पहुँच गये होंगे । और अपने शुभ कार्यों में लग गये होगे । आपके पीछे यहाँ बहुत सी उत्तमोत्तम चीजें निकली हैं जिनका वर्णन रिपोर्ट में छपेगा । यदि प्राप अंग्रेजी की रिपोर्ट पढ़ने हों तो भेजूंगा । मैं बिहार में जो जैन तीर्थ है या वैसे प्रसिद्ध स्थान है जिनका जैन मत से सम्बन्ध है, उन पर एक छोटा सा नोट लिखना चाहता हूँ । क्या आप कृपया उनकी सूची मुझे भेज सकते हैं ? जहाँ जहाँ उनका वर्णन हैं उन ग्रंथो के नाम भी । कही आपकी दृष्टि में मण्डन सूत्रधार के शिल्प ग्रंथ भी पड़ हों तो कृपया लिखें कौन कौन से और कहाँ कहाँ ? क्या उनमें से कोई मुझे देखने के लिये मिल सकेगा ? प्रभावक चरित्र का शुद्धि पत्र आप निकालने को कहते थे । क्या तैयार हो गया ? क्या मैं उसे देख सकूंगा ? आज कल गर्मी वहुत पडने लगी है अतः खनन प्रायः बंद करने लगा हूँ । कुछ दिन और यहां ठहरूगा । रिपोर्ट तैयार करके पटना चला जाऊंगा | मेरे योग्य कार्य हो लिखिये । विनीत हीरानंद शास्त्री 1
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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