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________________ १४० मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र Patna E. I. R. 7-11-19. मान्य प्रिय मुनिजी, ____ खारवेल लिपि में अब सब निश्चित हो गया। एक यवन राज का नाम भी इस बार मिला है। सब भी पूर्ण रूप से तै पा गया, केवल एक पंक्ति नही लगती "पूजाय [र] त उवासा खारवेल सिरिना जीव देव काल राखिता" उपासा [क? ] राखिता ? जीवदेव कौन थे और जी. दे. काल (?) को किस तरह बैठावें? इसके पहले हैं : विजय चका कुमारी पवते अरहित यार खिणास-क्षीणासविगतराग) संताहि ese पहले का पाठ । आपका का० प्र० जायसवाल +4A (१७) BAR LIBRARY HIGH COURT PATNA 10-12-19 मान्य श्री मुनिजी, __मैं आपका अवश्य साथ दूंगा। खारवेल लेख अब निश्चित हो गया । कुछ ही इधर उधर हुआ हैं। एक यवन राज का नाम मिलता है। आपका काशीप्रसाद जायसवाल (१८) पटना आसाढ़ सु. ११ PATNA 20th July 1927 श्री माननीय मुनि जिन विजयजी को प्रणाम पुरस्सर निवेदन
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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