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________________ मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र खुशी नही होगी मेरे संग्रह में कई एक विज्ञप्ति पत्र हैं, यदि 'साहित्य संशोधन' मे प्रकाशित करने योग्य इसे समझे तो लिखने से मै इनकी कापी भेज सकता हूँ। _ 'कर्मचन्द प्रवन्ध' सोपज्ञ टीका सहित मैंने कापी कराई है । आपका इसे प्रकाशित कराने का विचार था सो यह सटिक छपेगी या मूल, कृपा कर सूचित कीजिएगा। मेरे विचार से सटिक ही प्रकाशित करना उपयोगी और उचित होगा । और साथ मे आपकी गवेषणापूर्ण टिप्पणी भी अवश्य रहनी चाहिये । आगे मेरी जैन लाइनरी में आपके यहाँ की प्रकाशित निम्नलिखित पुस्तकें नही है। ये सब अवश्य रहनी चाहिये । अतः ये पुस्तकें चाहे भेंट तरीके (Postage) की वी. पी. करके, चाहे मूल्य की वी. पी. के साथ शीघ्र ही भेजने का कष्ट उठाकर अनुग्रहीत कीजिएगा और आगे भी आपका या पं० सुखलालजी का संपादित जो कोई भी नवीन ग्रन्थ प्रकाशित होवे, उसे वी. पी. के साथ ही भेजने का कृपया प्रवन्व करा दीजिएगा। आगे पंडित नाथुराम जी प्रेमी बम्बई वाले आजकल कहां है तथा उनका क्या ठिकाना है कृपया सूचित करेंगे। योग्य सेवा लिखते रहें। पत्रोत्तर शीघ्र देने की कृपा करें। ज्यादा शुभ सं १९८४ मिः भादुसुद ६ ___ आगे पंडित सुखलाल जी साहव वहाँ रहे तो उनको मेरी क्षामना पहुँचा दीजिएगा, व रसिकलाल भाई से क्षामना करिएगा। आपके साथ जो भाई आये थे उनसे भी क्षामना और सम्मति तर्क भाग २ का छपा हो तो १ कापी वी. पी. से भेज दीजिएगा। कष्ट के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ। List १: आचारंग सूत्र २. जैन ऐतिहासिक गुर्जर काव्य
SR No.010613
Book TitleMere Divangat Mitro ke Kuch Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherSarvoday Sadhnashram Chittorgadh
Publication Year1972
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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