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________________ । मानव समाज को विघटन एव विनाश से बचाने के लिए सदा से ही अनुशासन की आवश्यकता अनुभव की गई है। मनुष्य जब भी अनुशासन तोडकर उच्छृ खल हुआ तब ही उसने विनाश को निमत्रित किया। अनुशासनहीनता एक बहुत बडा सामाजिक एव राष्ट्रीय अपराध है। ____ यह सत्य है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज रचना का अभ्यस्त रहता आया है। इसलिए अनुशासन उसके सगठित विकास की विश्वसनीय कडी है। कोई सस्था इसके बिना चल नही सकती। पर अनुशासन सदैव एक सापेक्ष कदम होता है। सम्पूर्ण घटनाक्रम एव वर्तमान के तकाजो के परिप्रेक्ष्य मे उसकी साथकता आकी जानी चाहिए। केवल एक घटना विशेष के आधार पर अनुशासन की कार्यवाही कोई औचित्य नही रखती। ____अनुशासित समाज एव राष्ट्र बड़ी से बड़ी समस्याओ का हल अतिशीघ्र ही निकाल लेता है । समस्याएं उसके लिये बाधक नही बन पाती प्रगति एव उत्कर्ष के' मार्ग मे। उसको मार्ग स्वय मिलता चला जाता है । अनुशासित समाज अथवा राष्ट्र मे अनेक मस्तिष्क अनेक हाथ और अनेक कदम एक ही दिशा मे जब बढते हैं तो रुकावटें उनके लिये कोई अर्थ नही रखती। चिन्तन-कण | ८६
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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