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________________ अखण्डता की शक्ति महान है । पुष्प लता के बीज की अखण्डता फूल खिलाती है । गेहूँ चने की अखण्डता पृथ्वी से सोना पैदा करती है फसल के रूप मे । अखण्ड गेहूं या चना उपजाऊ भूमि मे पडकर खेतो को हरियाली से भर देता है । जन-जन के उपयोग मे आकर ससार को तृप्ति देता है । यदि उस गेहूं या चने को तोड कर दो भागो में बांट दिया जाए तो क्या वह उगने की शक्ति अपने मे रख सकेगा ? नही, ऐसी अवस्था मे मिट्टी पानी उने गला कर समाप्त कर डालते हैं । उसकी अखण्डता ही उसकी उत्पत्ति का मुख्य कारण है । यही स्थिति जीवन की भी है। विश्व को तृप्ति एव आनन्द वांटने के लिए जीवन मे भी ज्ञान और कर्म की अखण्डता अपेक्षित है। ज्ञान और कर्म के बीज जव अखण्ड रूप ने एक रस होकर जीवन की भूमि मे वोये जाएँगे, तव जीवन का क्षेत्र अनेकानेक सद्गुणो की फसल से हरा-भरा हो लहलहा उठेगा | इसप्रकार अखण्डता की शक्ति जीवन को आनन्द से भर देगी । O ५८ | चिन्तन-कण
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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