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________________ - तूफान आते हैं उन्हे आने दो । अन्धड घुमडते है उन्हे घुमडने दो। इनसे घबराकर इधर-उधर छुपने का विफल प्रयत्न मत करो। इस प्रकृति के प्रागण मे सहज रूप से जो हो रहा है, उसे होने दो । अधड या तूफान का आ जाना कोई त्रासदायक परिस्थिति नही । वह भी निसर्ग की एक आवश्यकता है । अधड का आना वृक्ष के लिए अपने जरा जीर्ण पत्रो एव शाखाओ से मुक्ति है। निरर्थक बोझ से छुटकारा है । ठीक इसी प्रकार से समाज एव राष्ट्र मे भी परिवर्तन के अन्धड आते ही रहते है, युग बोध को लेकर। इससे घबराने की आवश्यकता नही। नव सृजन की नन्ही कोमल कोपलो के प्रस्फुटित होने की यह पूर्व प्रक्रिया है । समाज मे उथल-पुथल, द्वद्व एव सघर्ष की घटनाओ द्वारा समाज को अपने निरर्थक भार से छुटकारा ही मिलता है। किन्तु इसके साथ एक शतं और है कि जो क्रातिकारी सकल्प अपनी दुधर्षता मे उद्देश्य की जड़ें ही उखाड फेंके, वह उस प्रकृत्ति प्रकोप की भाति ही अश्रेयष्कर है, जो अपने अध प्रवाह मे धान के कितने ही खेत निर्मूल कर देता है। परिवर्तन लाइये, परन्तुविवेक बुद्धि के साथ । अन्धड़ को आने दीजिए -किन्तु. विवेक के नियन्त्रण मे। चिन्तन-कग | २५
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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