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________________ I मौसम कभी आदमी के अनुकूल नही हुआ करते, आदमी को ही स्वय मौसम के अनुकूल होना होता है । देश मे आज सामाजिक एव राष्ट्रीय नव चेतना का मौसम आया है, तो इससे घबराइए मत। डरकर भागो नही, बदलो । भगोडी वृत्ति ने ही जीवन मे अनेकानेक अवरोध पैदा कर दिए हैं । जो प्रगति को करने के लिए दुर्बल मनोवृत्ति वाले मनुष्यो को मजबूर कर रहे हैं । आज नकार से नही, स्वीकार से काम चलेगा । समस्याएँ नकारने से कभी सुलझ नही पायेंगी । उन्हे सहर्ष स्वीकारना ही - होगा । नव प्रभात मे आँखें खोलो । प्रकाश किरणें प्रस्फुटित हुआ चाह रही हैं। जमीन तैयार है, बीज डालो । भाग्य के अकुर नही श्रम के कुल्ले बिना फूटे नही रहेगे । 0 1 ,,, चिन्तन-कण: | १९
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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