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________________ - क्रान्ति के नाम पर कभी-कभी बडी-बडी भ्रान्तियाँ भी पल जाया करती हैं । जैसा कि वर्तमान मे हमारे सम्मुख स्पष्ट रूप मे आ रहा है । स्थान-स्थान पर हो रहे आन्दोलन, तोड-फोड तथा अग्निकाण्ड ये सब भ्रान्तियो के ही तो प्रतिफल हैं। जो क्रान्ति का लवादा ओढे आज के मानव के मन-मस्तिष्क को भ्रमित कर रहे हैं । जन-मानस के असन्तोष को भडका कर, जनजीवन को क्षुब्ध तथा तनाव पूर्ण कर देना क्रान्तिकारी का काम नही। सच्ची क्रान्ति तथा सच्चा क्रान्तिकारी तो, वह है जो मानव-चिन्तन के लिए नए क्षितिज खोले । मानव-मन मे नई सभावनाएं अकुरित करे । जीवन तथा जीने के नए आयाम स्थापित करे एव जन-मन-गण को सही दिशा-बोध दे। चिन्तन-कण | १०३
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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