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________________ ७० ] मुहता नैणसीरी ख्यात सु एक मिरजैरो वाग, तैमे कोई उतर सगै नहीं।' जो उतर सो मारियो जाय । अणरो पण वडो राज । ताहरां पाबूजी मिरजखानरै वागमे डेरो कियो, सो वाग सोह तोड़ खुवार कियो। ताहरां माळी जाय खाननू पुकारियो-'राज ! कोई रजपूत वागमें उतरियो छ, सो वाग सर्व विधूसियो ।' तद खांन पूछियो-'कैसाक रजपूत है ?' ताहरां माळी कहीं-'राज ! हिन्दु छै। डावी पाघ वाधियां छै ।" ताहरां खान कह्यो'-जी, येसूं आपां पोहचा नहीं । तिय प्रांनो वाघेलो मारियो ।” सो खान साम्हां रसाळ ले हालियो । ताहरा मीय घोडा, कपडो, मेवो सांम्हां लेने वाग आयो । प्रायनै पाबूजीसू मिळियो । ताहरां पावूजी इयैसू राजी हुवा। तद बीजो तो सर्व पाछो दियो नै एक घोडो राखियो, सु घोड़ो पावजी हरियेनू वगसियो। अठ खांनसू मिळनै पाबूजो चढिया सु अठै पचनद ऊपर पाया।" ताहरा पाबूजी चादैनू कह्यो-'चांदा। देखा, पांणीरो थाग लै ।11 कितरोहेक ऊंडो छ ? 12 ताहरां चांदै थाग लियो सु पाणी वासां-डोब ।13 ताहरां चादै कह्यो-'राज ! पार हुय सगां नही पर अठ डेरो कर दां 115 कदै ऊलै पार सांढियां अासी तद पापा लेस्यां।" __I उसमे कोई नहीं उतर (ठहर) सके। 2 इसका राज्य भी वडा। 3 सो सव वाग तोड कर नाश कर दिया। 4 सो तमाम बाग विध्वस कर दिया। 5 वामी पगडीके पेच वाला है। (राठौड वायें हायसे पगडी बांधते है इसलिये राठौड़ 'वामीवध' कहलाते है ) 6 इससे अपन नही पहुच सकते। 7 उसने श्राना वाघेलाको मार दिया है । 8 सो वह खान रसाल लेकर माम्हने गया । (राजस्थानमे सभी प्रकारके ताजे फलोको रसाल कहते है ।) 9 तव दूसरी मब सामग्री तो पाबूजीने वापिस कर दी, केवल एक घोडा रखा जो उन्होने हरियेको वख्म दिया। 10 यहा खानसे मिल करके पाबूजी रवाना हुए और यहाँ पचनद पर आये । ('पचनद' से तात्पर्य यहाँ सिन्धु नदी ही समझना चाहिए, जिसमे १ सतलज (गतद्र) २ व्यास (विपासा) ३ रावी (इरावती) ४ चिनाव (चन्द्रभागा) और ५ झेलम (वितस्था) ये पांच नदिया मिली हैं) I देखें, पानीका थाह तो लें। 12 कितनाक गहरा है ? 13 तव चादाने पानीका थाह देखा तो वासोडूब गहरा। 14 पार नही हो सकते। 15 और यहाँ ही डेरा लगादें। 16 कभी इस पार साढिया आ जायेंगी तव ले लेंगे।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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