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मुहता नैणसीरी ख्यात
[ १५ उतरियो हंतो। आधी रातरी समै हुती; तद भाडंगरा आधा जाट रावजीसी आय मिळिया। कह्यो-'म्हे नरसिघनू मरावां ।' तदी जाट राव वीकैजीन ले गया। जठे नरसिंघ सूतो हुतो, त? ऊपर ले गया । नरसिंघ ऊठियो। घोड़ो भुवर काढण लागो।' कांधळजी आडा हुवा । जितरै मांहि नरसिंघनू मार लियो । जाटुवांरी फोज भागी। धन वित हुतो सु खोस लियो। राव वीकैजीरी फतै हुई। तद जाटो डूम दूहो कहै
वीको वाहर नावड्यो, भुवर नकोदर हाथ। .
हम तुम झगडो नीवड्यो, नरसिंघ जाटू साथ।। १ । पछ प्राण' सिधमुख मांहै डेरो कियो । पाछा फतै कर वळिया। पाछा प्रावतांन दासू वैहणीवाळ आय मिळियो। दासू कह्यो-'राज म्हारो वैर छै । जो लरावो तो धरती थांहरी छै, सो लेवो।' तद राव वीकोजी हालिया1 सुं, हाराणी-खेडे. सौंहर जाट रहतो हो! सु मारियो । दासुरै वैर माहै दासू मारियो । दासू छोकरियां पासै गुण गवाया । पाछा हालिया । अरंडकमल कांधळोत भटनेरन दोडियो । मार, माल-वित बीकानेर ले आयो।18 फतै कर आयो। धरती सारी ही लीवी।
॥ इति श्री राव वीकाजीरी वात संपूर्ण ॥
. I तव । 2 मुंवर घोडेको निकालने लगा। 3 इतनेमें नरसिंहको,मार दिया। 4 पशु और धन-माल था सो खोस कर ले लिया। 5 उस समय। 6 भुवर घोड़े को और पाडेके बेटे नकोदरको अपने अधिकार मे करके राव वीका नरसिंह जाटूके विरुद्ध वाहर चढ़ा। नरसिंहको मार करके सफलता प्राप्त की। नरसिंह जाटूके साथ जो तुम्हारा वैमनस्य था वह हमने निपटा दिया ।., 7 फिर आ करके ! 8 प्राते हुएको। 9 ले लें। 10 तुम्हारी। II चले। 12 गोवका नाम। 13 था। 14 दासूने अपने वैरमें-उसे मार दिया। 15 दासूने अपनी इस सफलतामे, (सौंहरको) दासियोंसे अपनी प्रशसाके गीत गवाये । 16 वापिस लौटे। 17 अरड़कमल कांघलोतने भटनेर पर चढ़ाई की। 18 भटनेरको लूट कर पशु और धन बीकानेर ले आया।