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________________ ___ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १०५ सूजो सिकार खेलतो फिरै । सो एक दिनर समाजोग' सूजोजी सिकार खेलता बैंहगटी कनै प्राय नीसरिया । ताहरां हरभूजी सांखलै सूजै जोधावतन लिखमी आपरी दोहितरी परणाई ।। लिखमीरै बेटा दोय हुआ-वाघो, नरो। वडा जोरावर हुआ । सातळरै छोरू न हुवो। ताहरां टीको सूजैजीन दियो। राणीपदो लिखमीन दियो ।' लिखमीरो भाई जैसो आय सूजैरै वास रह्यो। तैरा जैसा-भाटी कहीजै । ___ताहरां राव सूजै मारवाड़ सरब साझी ।' बेटो वाघो वगड़ी राखियो ।' नरो फळोधी राखियो। रांणी लिखमी फळोधी नरै कनै रहै । असवार ५०० नरैरै ताबीन रहै ।। . एक दिनरो समाजोग छै । रात घडी ४-५ गई छै । वरसातरा दिन छ । नरो अरोगणनू मा कनै आयन बैठो छ । तिस.10 चाकर झरोखै आय अर दीठो', अर कहियो-'या आजरी खिवण'' पोकरण ऊपर छ ।' ताहरां लिखमी निसासो मूकियो ।13 ताहरां नरो बोलियो'मा ! निसासो क्यु मकियो ? थाहरै वाघे नरै सरीखा बेटा, अर रावजी पण समादिया ।14 था रांणीपदो पायो ।15 ताहरां कह्यो'बेटा ! पूछ मती-ना । ताहरां नरै कह्यो-'माजी ! मोनू तो कहो। ताहरा लिखमी कह्यो-'बेटा ! ईयै पोकरण वाळे मोनू कवारी थकीन निंदी हुती। परणीज अर दुहाग देता आया छै; पण ईयै मोनू कवारी थकीनू निंदी। ताहरां नरै कह्यो-'माजी ! हूं ईयैसू गुदरू छू थाहरै I समयका योग, समयकी वात। 2 तव हरभूजी साखलेने जोधाके पुत्र सूजाको अपनी दोहिती लक्ष्मीको व्याह दी। 3 सातलके कोई पुत्र नही हुअा। 4 लक्ष्मीको पट्टगनीका पद दिया। 5 जिसके वशज जैसा-भाटी प्रसिद्ध है। 6 सम्पादन की, प्राप्तकी, जीत ली। 7 अपने बेटे वाघेको वगडीमे रखा। 8 नरेकी तावेदारीमे ५०० सवार रहते है। 9 नरा भोजन करनेके लिए अपनी माके पास आकर बैठा हुआ है । 10 इतने मे। II आकर देखा। 12 विजली। 13 तव लक्ष्मीने नि स्वास छोडा। I चिरायू, विद्यमान। 15 आपने रानी पद प्राप्त किया। 16 विवाह करने के बाद तो अमान्य करते आये है, परन्तु इसने मेरी क्वारेपनमे ही निंदा की थी।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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