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________________ राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर पत्र क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम कर्ता भाषा लिपिसमय | संख्या विशेष | सूरचंद्र मू० वररुचि " | १६६२ प्रणम्यपदसमाधान | संस्कृत १६वीं श. २ ६१ | ३०५४ | प्रबोधचन्द्रिका वैजलभूपाल १८५२, १७ ११५८ प्राकृतकामधेनु रावण २०वीं श. ४ ६३ | १६८१ प्राकृतप्रकाश सटीक १८८३ | २२ टी० भामह | १५४६ प्राकृतव्याकरण सटीक | हेमचन्द्र १५वीं श. २५ टी०स्वोपज्ञ १६८२ प्राकृतानन्द रघुनाथ | प्राकृत संस्कृत प्रौढमनोरमा भट्टोजीदीक्षत १७६८ | २०३ ४३७ | १६५६ भाष्यप्रदीपव्याख्या प्रथमाहिक नागोजीभट्ट , १८वीं श. २१ | सिद्धांतकौमुदीव्याख्या । अव्ययपर्यात कर्ता शृंगवेरपुर के रामनृपति के आश्रित थे। " " " २१ १६५७ भाष्यप्रदीपव्याख्या तृतीयाहिक २२३ भूपणसारदर्पण ४६३ मध्यसिद्धान्तकौमुदी १६६२ | लकारार्थनिर्णय हरिवल्लभ वरदराज , , ३२७ १६वीं गोपालदेव लघुवैयाकरणभूषण- सारटीका लघुवैयाकरण भूपणसारटीका , १८वीं श. ७१ लघुभूषण की कान्ति. नामक टीकान्तर्गत। कातिनामक टीका। आख्यातपर्यन्त । कारक से समासार्थनिर्णयपर्यंत। कान्तिनामकटीका। कान्तिनामकटीका। प्रौढमनोरमाव्याख्यान । विभक्त्यर्थपर्यन्त। अपूर्ण । २१७ १६वीं श. ५० १४वीं श. १८७ २३१ लघुवैयाकरण भूषणसार | लघुशब्दरत्न हरिदीक्षित - लघुशब्देन्दुशेखर ४०३ लघुसिद्धान्तकौमुदी २६१६ लघुसिद्धान्तकौमुदी वरदराज १८४७ ६० १८६२ ८७ । स्त्रीप्रत्ययपर्यन्त । पत्र ३८ वॉ अप्राप्त। - - -
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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