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________________ २४ ] क्रमांक ग्रन्थाङ्क ७४ ७७ ७५ | १२८२ | मत्रशांकली ७६ १५१४ माध्यन्दिनारण्यक גב ७६ * ८६ ན་ ΞΕ ५० २=५७ | रामपद्धति ८१ १२०१ |वशा. =२ | १२०६ | वाजवनो ऋपि छंद ८३ ३५८ | वाजसनेय सहिता ८४ ८५ ६० ग्रन्थनाम ३४ | मङपकु डसिद्धि सटीक त्रिपाठ ११७४ यजुर्वेद भाष्य (१) १५१६ यजुर्वेद सहिता अपूर्ण ३८२ यजुर्वेद हव्यन् " नाम प्रथमकाण्ड ३३२४ | वाजसनेय सहिता १२८५ | वाजसनेय सहिता नुक्रमणिका १५७ वाजसनेय सहिता पूर्व खड १५८ वाजसनेय सहिता उत्तर खण्ड ३७५ वाजी माध्यन्दिनी ११६० राजस्थान पुरातत्वान्वेपण मन्दिर सहितानुक्रमणिका ११६१ वासिष्ठी तथा होम प्रमाण निर्णय वृद्धपाराशर १४०६ | वेदपरिभाषांकसूत्र कर्त्ता भाषा केशव विठ्ठल दीक्षित संस्कृत १६वीं श " دو 525 " 23 33 " " 29 १८७४ २६ १७६७ ४ १७८८१ ३ ४६१८ १८२८ ६५ १८५७ ४१ संस्कृत १६२३ २६ "" " " 23 लिपि - समय " 39 १६वीं श ४६ १६वीं श. ३१४ पत्र सख्या १७वीं श. १५५ १७वीं श१३६ १८४९ | १५६ १६२४ २१ १६वीं श १८वीं श १८वीं श १८८५ २७६ 6 १४६ ६६ દ विशेप Ir टीका स्वोपज्ञ है अपूर्ण पत्र १,५३ से ६३, ८६ से, १०५ से ११४, १२३, १२७, १५७, १८६, २००, २०२, २४२, २५६, २६१, एवं ४४ अप्राप्त अपूर्ण प्रति है । १६वां अध्याय तक २०वां अपूर्ण नवानगर मे लिखित UE १२ अध्याय के ८७ श्लोक पर्यन्त अप प्रति
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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