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________________ कथा-वातादि २४६ ] क्रमांक अन्याय प्रन्थनाम कर्ता विशेष भाषा लिपि- पत्र संख्या समय २२८ | १५३३ सिंहासनद्वात्रिंशिका | मंकर सं० १५८१ १५० अपूर्ण । २वीं कया गद्य पद्यात्मक पर्यन्त । १०६ वां पत्र में संवत् है। २२६ | ३३४० सिंहासनबत्तीसी गद्य हिदी । १६१८ ११९ २३० | ६८१ | सुभद्राकथाबालावबोध विनयकुशल राज० १६वीं श. २३१ | १७११ । सुभूमपरशुरामकथा प्राकृत २३२ | १७१४ | सुरसुन्दर कथा सं० १७वीं श. १४-१८ २३३ / २४-३ सुरसेनमहासेनकथाादि २६४, ५२० | सुलसाचरित्र सस्तक | मू० जयतिलक " | १६१२ । ६३ | मुद्रानगरमें लिखित । सूरि ३५५५ सुवाबहुतरीकया गद्य देवदत्त भट्ट | २४८१ सं० सुत्रतश्रेष्ठिकथानक सुसढ़कथा सस्तवक | मू० (१) कांति प्राकृत | १८०८ विजय देवीदान राज. १६वीं श २३६० सूडाबहत्तरी वात (अपूर्ण) ४० | सस्तबक रचना सं. १८००। १४ विक्रमनयर के कुमार प्रद्युम्नसिह के विनोदार्थ रचित। गुटका। २८६१ सोमवती अमावसरी कथा सोमवतीप्रतकथा राधनपुरमें लिखित। भविष्योत्तर पुराणगत। २१४२ सोरठवीमरीबात राज० १८वीं श १-२ स्थूलभद्रकथा व्र हि. स्वरूपनिर्णय २ १४२ ब्रह्माजित | १६५८ | हनुमच्चरित्र हरिबलकथा सं. प्राकृत ३४१७ १४ सांगानेर में लिखित । प्रथमपत्र अप्राप्त। रामायणान्तर्गत संभाJiवत होती है। २४६ | १६४४ हरिचन्द्रकथा
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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