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________________ २२६ ) गजस्थान पुरातत्त्रान्वेपण मन्दिर लिपि- | पत्र क्रमांक ग्रन्थाङ्क क्रमांक थाङ्क प्रन्यनाम प्रन्थनाम फर्ता | भाषा समय | संग्या ४६३ | ११२४ श्रीपालरास ज्ञानसागर रा० गूः १६७५ २१-३७.सं. १५३१ मे रचित । ४१४, ३६५७ | | श्रीपालरास १७५२ ४६५, ८० श्रीपालरास विनय विजय यशोविजय १६२३ २०५८ ४६८३६ ३६०७ श्रीपालरास श्रीपालरास श्रीपालरास YEE | ६६१ | श्रीपाजरास जिनहर्ण ११ जिहानाबाद में लिखित । मं. १५३१ में रचित । ७. स० १७३८ में रानेर में रचना। ८१ " ४६. " ४६ स. १७३७(?) में रानेर | में रचित। २७ म. १७४० में पाटण | में रचना | पाटण में लिखित । ३३ / स. १७४० में पाटण में रचित । वीका नेर में लिखित । ४३ / १७४० में पाटण में रचित । २८ स. १७४० में पाटण | में रचित । २३ बीकानेर में लिखित। सं.१७१६ मे चदेरीपुर मे रचित । ५०० २१३८ श्रीपालरास ५०१ २१५४ | श्रीपालरास ३६०६ | श्रीपालरास श्रेणिकचोपाई धर्मशील ५०४ जिनहर्ण श्रेणिकचोपाई ५०५ | २०३० श्रेणिकरास १३ सं. १७४२ में पाटण सोमविमल मे रचित । कुमारपालस्थापित कुमारगिरी में स. १६०३ मे रचित। अहमदाबादनगर में लिखित। १७ स. १६७५ में रचना। द्र ग में लिखित। " ५०६ । ६४ | सतहणीचोई मतिसागर | " १८३१ /
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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