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________________ रास २२१-] क्रमांक प्रन्याङ्क पत्र प्रन्थनाम समय | १८१८ लिपिकर्ता विशेष संख्या १८२५ विक्रमसेनचौपाई | पर(द)मसागर, रा. गू. सं. १७२४ में गढ़ वाडा में रचना। | २०१६ विक्रमसेनचौपाई | परमसागर सं १७२४ में गढ़ वाडा में रचित । विक्रमसेनचौपाई बगडी में लिखित । सं. १७२४ में गोढ वाड मे रचित । | ४१६ | ३८६८ | विक्रमसेनचौपाई मानसागर " १८२८ ३६ बडुग्राम में लिखित । स. १७२४ मे कुंड नगर मे रचित । | ४२० / ३६६१ विक्रमसेनचौपाई " " | १७६८ ३३ आगेवानगर में लिखित । संवत् १७२४ में कूडइनग रम में रचित। | २०१६ | विक्रमादित्यचरित्र नरपतिकवि " १७०६ ३२ । सारीग्राम में चौपाई लिखित । | विक्रमादित्यनवसेंकन्या | लाभवर्धन सरीयारी में लिखित चौपाई सम्बत् १७२३ में जयतारणनगरी में रचित। | ३५७५ | विजयशेठ विजया चंद्रकीर्तिसूरि | " २०वीं श. ६५-६७ (२१) शेठाणी चोढालीयो विद्याविलासचौपाई , राजसिंह | " १७वीं श सं . १६७६ में चंपा वतीनगरी में रचित. “४२५ | ३६५२ विद्याविलासचौपाई १३ | जेसलमेर में लिखित । सम्वत् १६७६ में चपावती नयरी में रचित। ४२६ | ३६६७ विद्याविलासचौपाई | जिनहर्ष " | १८५० | २१ | तेल्यपुर में लिखित। सवत् १७११ में रचित । प्रथम पत्र अप्राप्त। ४२७ / ११२३ | विद्याविलास पवाडउ | हीराणंदसूरि " | १६३१ | २-५ | प्रथम पत्र अप्राप्त । संवत् १४८५ में रचना। | १६६३
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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