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________________ रास २१७ ] - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - | लिपि- पत्रक्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्थनाम कर्ता | भाषा विशेष समय | संख्या ३६२- २१८० रत्नपालचौपाई रघुपति रागू० सं. १८१६ में गजसिंघजी के राज्य में कालूग्राम मे रचित कर्ता ने अपना नाम रुघनाथ भी लिखा है। विक्रमपुर में लिखित । ३६३ २२३० रत्नपालचौपाई " " १८६४ ३३ स.१८१६ मे गज सिंघ के राज्य में कालूग्राम मे रचित । ३६४ ३८६४ | रत्नपालचौपाई कनकसुन्दर । " १८२१ | १३ | कल्याणपुर में लिखित । सवत् १७६७ में रचित । ३६५ | ३८६५ रत्नपालचौपाई मोहनविजय " १८१२/ ५४ | वैराटनगर में लिखित । संवत् १७६० में पत्तन में रचित । ३६६ | ३८६६ रत्नपालचौपाई हर्षनिधान | रा० | १८१२ | स १८१६ में कालू ग्राम मे रचित । ३६७ / ६३६ | रत्नपालरास सुरविजय ३२ धोलका में लिखित । सं. १७३२ में ब्राह्म णपुर में रचित । ३६८ | EEE: रत्नपालरास रागू० | १८३० २४ सम्वत् १६३२ मे बरहानपुरमे रचित । भुजनगर में लिखित । रत्नसार रास सहजसुन्दर " १७वीं श ३६-४६ सवत् १५८२ में रचित । रत्नसार रास १८वीं श १५ संवत् १५८६ (?) मे रचित । २०३६ | राजसिंहरतनवती पंच | प्रभुदास श. १६ सवत् १७५५ मे कथा रास वटपद्र में रचित । २८६३ | राजसिंहरत्नावती सिं । हीरकलश " १६१९७१-८४ सं. १६१६ में झमेऊ (३८) (संधि - ग्राम में रचित । रचना के चौथे दिन में लिखित । १७७६ " १८वीं श. - - - - - - - - -
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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