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________________ १६०1 राजस्थान पुरातत्यान्षण मन्दिर coRONDARD-BIDI क्रमांक ग्रन्थाङ्क प्रन्थनाम भाषा लिपि- पत्रसमय | संख्या विशेष १२२ | ७२ | श्रावकधर्मविधिप्रकरण | मू० धनपाल | प्रासं. | १६६३ | L | सटीक टीधर्मचन्द्र | १०२८ | षट्कर्मग्रन्थ टीका -टी देवेन्द्रसूरि, सं० | १६२३ | | स्तम्भतीर्थ में | मलयगिरि लिखित । पांच की टीका देवे. न्द्रगिरि ने की है। |१०२६ षट्कर्मग्रन्थसावचूरि मूल्देवेन्द्रसूरि प्रा.अ.सं.१७वीं श. १८३ |१ से ५ ग्रंथतक टीका १०७७ पष्टिशतक सस्तवक मू० नेमिचन्द्र | मू.प्रा.,,,| १० स्त.रा.गू. | पोडशक सटीक त्रिपाठ मू० हरिभद्रसूरि सस्कृत | १८३६ | ४३ | सुरतिबिंदर में | लिखित । संख्याताविचार रा.गू. १७वीं श. १४६वां |, १८वीं श. संग्रहणीप्रकरण हेमसूरि शिष्य मू.प्रा. १८वीं श. ५२ सस्तवक स्त.रा.गू. ३६१४ संग्रहणीवालावबोध | शिवनिधान | रा.गू. | १८११ । ७३ वडलनगर में लिखित ३६१५ संग्रहणीबालावबोध दयासिंह २११७ संग्रहणीसबालावबोध | श्रीचन्द्र | श्रीचन्द्र प्रा रा.गू. १६१७ वा०दयासिंह १०६० | सग्रहणी सस्तबक | हेमसूरि शिष्य मू.प्रा. | १६०३ | ५३ स्त.रा.गू. १०५० | सप्ततिका (कर्मग्रन्थ) | प्रा. १८वीं श६ २११८ | सप्ततिका कर्मग्रन्थ | वा० कुंभऋषि मू .ग्रा. | १७३३ | १६ जैसलमेर में लिखित।। सबालावबोध त्रिपाठ । पार्चन्द्र शिष्य ६६२ सप्ततिका वालावबोध | मूलचंदमहत्तर मू.पा.बा १७वीं श ७१ | बा०जयसोम समवसरणस्तववाला. रा.गू. १६वीं श. ६ पबोध सम्बोधसप्ततिका प्रा० १६वीं श ४ सम्बोधसप्ततिका मू प्रा. | १७१७ | २३ सूरतबिंदर में लिखित। सवालाववोध बा.रा.गू. सम्बोधसप्ततिका मू० जयशेखर| मू प्रा. १८वीं श. १२ |स्त रा. सम्बोधसप्तति मूरनशेखर | मू.प्रा. १९६१ २१ सटीक सहित १११५ १०७६ सस्तवक टीअमरकीर्ति सी. | १६६१ / २१
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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