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________________ १८० राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - - - - - - - - - - - क्रमांक ग्रन्थाङ्क ग्रन्थनाम | लिपि- पत्रभापा | समय | संख्या विशेष मू. प्रा १६वीं श. टी.सं. १३८ १५८४ | उत्तराध्ययन संस्कृत तथा भाषार्थसहित १६०६ उत्तराध्ययन सावचूरि पंचपाठ उत्तराध्ययनावचूरि ऋषिभाषित " १७वीं श १५८१ । स० १५वीं श. अर्धमा | १९६२ गधी प्राकृत | १६१५ 9car टी०सं १५८७ औपपातिकसूत्र औपपातिकसूत्र सटीक टी० अभयदेव त्रिपाठ २६०५ | कल्पसूत्र कल्पद्रु कलिका टी. लक्ष्मीटीका सहित वल्लभ २६०६ कल्पसूत्र टीका १८५६ ६ । धडूला में लिखित। सं० १८८० कल्पद् मकलिका नामक टीका का संक्षेप है। भद्रबाहु | १६०६ कल्पसूत्र मूल | कल्पसूत्र सचित्र ११७१ कल्पसूत्र सचित्र सस्तवक कल्पसूत्र मवालाववोध प्राकृत १७वीं श १६४१ प्रा. रा. १७०३ चित्र स०६२ है। चित्र सं०४३ है। | कल्पसूत्र सस्तबक मू प्रा बा. १७५३ रा. गू १६६८ स्त. हेमविमल " १८वीं श २८६१ | कल्पसूत्र सस्तवक ३१ १५८३ कल्पान्तर्वाच्यटीका स० १५७६ ३२ | २११३ चतु शरणप्रकीर्णक | वा. धनविजय प्रा. वा १७वीं श सवालाववोध | पत्र १ तथा १४ वां अप्राप्त । प्रथम पत्र में चित्र। वालावबोधकार के शिष्य वीर विजय ने लिखी। ३३ २११४ १७१६ ३४ १०८४ चतु शरणप्रकीर्णक सबालावबोध त्रिपाठ चतु'शरणप्रकीर्णक सस्तवक जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति मूल मू० वीरभद्र " १८वीं श | ४५-४६ | १६०३ प्राकृत | १६६१ ११८ | थिरपुद्रनगर मे | लिखित।
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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