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________________ १६२] राजस्थान पुरातत्यान्वेषण मन्दिर - - - - - - - - - - - - - क्रमांक, प्रन्थाङ्क कर्ता लिपि प्रन्यनाम भाषा पत्रसमय | संख्या विशेष ३५६७ फुटकर कवित्त रा० १६वीं श. १५५- वैद्यक यत्र मत्रादि | १७६ । भी लिखा है। गुटका। ३१ १८७४ फुटकर कवित्त संग्रह | गंग आदि तथा इस्कचमन अनेक कवि (४) ३५५७ . १८४६ " " फुटकर दूहा रा. १८वीं श. ७२ वां | फुटकर दूहा , १६वीं श. ७२-६६ वैद्यक फुटकर भी लिखा है। | फुटकर दूहा कवित्त , १७६१ / ७८-८१] | आदि बाजीत फाग कवित्त मजादर में लिखित। भमरभूधरमहिनाआदि १७६ १८५८ बाराखडी पारीखदास बहि०१६वीं श. ४ सं. १८६८ में रचित ३५६७ बावन अख्यरो कानडदास बारठ ८५० बावनी तथा बारहमास किशनदास नहि ,, १७ अत में फुटकर तथा कवित्त हैं। सुन्दरदास भर्तहरीयशतकत्रय नैनकवि | नृपति अनूपसिह के भापा पद्य -पुत्र प्रानन्दसिंहजी के आनन्दार्थ रचित। | १०८ भववैराग्यशतक प्रा.रा.गू.१७वीं श. ८ सस्तबक भववैराग्यशतक ,, १८वीं श ६ सस्तबक १०८४ भववैराग्यशतक , ,, ३८से४४ सस्तवक भववैराग्यशतक , १६वीं श. से१६ सस्तवक भावरसादिवर्णन कवित्त खुसराम वहि० -०वीं श ३५से७० अपूर्ण । मजलस हि. १९वीं श. ६-७ मरद अस्त्री' लिखै रा० | १८७६ | १४-१८ आमेर में लिखित । तिणरी पैठ दूहाबंध १०८० १०४७ १८४ २३३६ २१४२
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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